गढ़ा कलां के कंपोजिट विद्यालय में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस का हुआ भव्य आयोजन 

पूरनपुर, पीलीभीत। प्रथम अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस का भव्य आयोजन कंपोजिट विद्यालय गढ़ा कला में योगाचार्य आशीष दीक्षित,(आयुषविभाग भारत सरकार )के द्वारा 21 दिसंबर 2024 को पहला विश्व ध्यान दिवस बड़े ही ध्यान पूर्वक मनाया गया। योगाचार्य ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने 29 नवंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित एक प्रस्ताव में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में नामित किया है।विश्व ध्यान दिवस 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित करने की पहल,संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा की गई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव को भारत द्वारा सह-प्रायोजित किया गया है।संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा की ध्यान व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण में सकारात्मक भूमिका निभाता है।इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में ?ध्यान? के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।प्रथम विश्व ध्यान दिवस का विषय
" आंतरिक शांति, वैश्विक सद्भाव" है। योगाचार्य आशीष दीक्षित ने योग शिविर का आयोजन करते हुए लोगों को ध्यान के महत्व, ज्ञान की विशेषता, ध्यान से लाभ, ध्यान का उद्देश्य, ध्यान की आवश्यकता आदि पर प्रकाश डालते हुए बताया किध्यान एक प्राचीन अभ्यास है जो प्राचीन हिंदू धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, यहूदी धर्म और मिस्र और चीन की प्राचीन सभ्यता में पाया गया है। हमारे ऋषि मुनि जीवन के कल्याण के लिए ध्यान द्वारा ही अनुसंधान करते थे। अष्टांग योग में भी ध्यान की महिमा के बारे में बताया गया है।ध्यान उस अभ्यास को संदर्भित करता है जिसमें व्यक्ति मन को प्रशिक्षित करने और मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक शांति और शारीरिक विश्राम की स्थिति प्राप्त करने के लिए सचेतन अवस्था में केंद्रित ध्यान एवं एकाग्र विचार जैसी तकनीकों का उपयोग करता है।
आधुनिक समय में ध्यान करने से तनाव ,चिंता डिप्रेशन रोग व्याधि, कुंठा ,घबराहट ,बेचैनी ईष्या द्वेष आदि ठीक हो जाता है। तथा समूह में ध्यान लगाने से सहानुभूति, सहयोग और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा मिलता है, जो सामूहिक कल्याण में योगदान देता है।
ध्यान का उपयोग किसी व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक कल्याण का समर्थन करने के लिए भी किया जाता है। ध्यान का अभ्यास करते और कराते हुए योगाचार्य आशीष दीक्षित द्वारा विद्यालय परिवार को बताया कि विद्यार्थी यदि ध्यान लगाकर किसी विषय को पढ़ना अथवा याद करता है तो वह जल्दी से याद हो जाता है और उसके दिलों दिमाग में बैठ जाता है। बच्चों का धर्म है कि शिक्षक जो भी पढ़ाए उसको बड़ी ही ध्यान पूर्वक सुने और समझे तथा शिक्षकों का भी कर्तव्य है कि विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान देते हुए शिक्षा को प्रदान करें।विद्यार्थियों के पांच लक्षण में भी बताया गया है कि काक चेष्टा,बको ध्यानं,स्वान निंद्रा तथैव च अल्पाहारी गृह त्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणम्।
अर्थात विद्यार्थी को बड़ी ही ध्यान पूर्वक विद्या अध्ययन करना चाहिए।ध्यान करना और ध्यान देना दोनों ही व्यक्ति के जीवन के लिए अति आवश्यक है।
कार्यक्रम में विद्यालय के बालक बालिकाओं एवं अध्यापक गण ने बड़े ही तन्मयता से ध्यान लगाया और ध्यान को सफलता ,सुख शांति, उत्तम स्वास्थ्य निरोगी काया,एकाग्रता संतुष्टि आदि के लिए जीवन में धारण करने का संकल्प लिया गया।जिसमें विद्यालय परिवार के विद्यार्थियों के साथ-साथ प्रधान अध्यापक मंजूरानी,शिक्षा मित्र ममता देवी,आंगनवाड़ी कार्यकत्री सुनीता देवी लोगों ने ध्यान शिविर में ध्यान लगाया।