ग्रामीण अंचल में बैठे मौत के सौदागर काली पीली दवाइयां देकर बांट रहे मौत

बीसलपुर- तहसील के ग्राम मीरपुर में प्रताप बंगाली, अजीम खान मीरपुर ऑटो स्टैंड पर, डॉक्टर लकी, रेहान कुरेशी मीरपुर, ताहिर अंसारी, अनवर खान सी आ. सरकार बंगाली, नन्हे डॉक्टर उर्फ अशरफ अली, डॉक्टर अकील अहमद, डॉक्टर इस्लाम, डॉक्टर अकरम, डॉक्टर अहसान आलम, डॉक्टर वसीम सिद्दीकी, डॉक्टर विरासत मंसूरी, डॉक्टर आरिफ अली, डॉक्टर इसशाद खान जैसे तमाम फर्जी डॉक्टर बैठे हुए हैं लेकिन उच्च अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हैं ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। मीरपुर क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीणों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। मीरपुर सहित अन्य गांवों में प्राइवेट चिकित्सक दुकान जमाकर लोगों का आधा-अधूरा इलाज कर रहे है। गौरतलब है कि मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 30 से 50 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में बीसलपुर सीएचसी या फिर जिला अस्पताल भेज देते हैं। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है। फिर भी कार्रवाई नहीं की जा रही। फर्जी डॉक्टर दवाओं का भंडारण भी करते हैं झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। मीरपुर अनुभाग में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।

इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनों उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 150 से 200 रुपए तक होती है। मनमानी फीस वसूलने के बाद जब मरीज की हालत बिगड़ जाती है तो यह फर्जी डॉक्टर हाथ खड़े कर लेते हैं।