फिसड्डी साबित हुए जिला पंचायत सदस्य तो दर्जन भर लोग अब मैदान में,अब वार्ड न• 7 से कौन?

शाहगंज जौनपुर।

लोकसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मियां बढ़ गई हैं,और गांव के नुक्कड़ चौराहों समेत चाय की टपरियों पर अब आगामी पंचायत चुनाव को लेकर चाय पर चर्चा तेज हो चुकी है,भावी प्रत्याशियों के अंदर का समाजसेवी पूरी तरह जाग चुका है,और वो भी अब टूर्नामेंट के उदघाटन और समापन समारोह में शामिल होकर खुद को समाजसेवी की उपाधि देने की कोशिश में लगे हैं।

ऐसे में हमने बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता और जिला उपाध्यक्ष शहनवाज आलम से बातचीत की,जो कि खुद 2 बार पंचायत चुनाव का हिस्सा रह चुके हैं,और फिलहाल जिला बसपा इकाई में उनका कद सबसे बड़े मुस्लिम नेता का है,शहनवाज आलम ने बताया कि वो लगातार 2 बार वार्ड नंबर 7 से पार्टी का परितिनिधित्व कर चुके हैं पिछले चुनाव में उन्हें बहुत ही कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा लेकिन उन्हें क्षेत्र की जनता पर पूरा भरोसा है कि आगामी चुनाव में जनता उन्हें जरूर मौका देगी।

फिलहाल वार्ड नंबर 7 से सपा के सुरेंद्र यादव जिला पंचायत के सदस्य हैं लेकिन जनता के बीच उनकी लोकप्रियता न के बराबर दिखाई दे रही है,क्षेत्र के सबरहद से सुभाष गौतम मियांपुर से जगदीश,बकुची से प्रमोद भारती और भरौली गांव से जितेंद्र कुमार ने बताया कि लगभग 4 साल का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद आज तक क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है,जिला पंचायत के कोटे से इमरानगंज बाजार में हाईमास लाइट तो लगी लेकिन कुछ ही दिनों में उस में लगे बल्ब एक एक करके खराब हो चुके हैं कुछ जिम्मेदार नागरिकों ने इसकी शिकायत तो की लेकिन कोई भी सुध लेने वाला नहीं है।

भरौली गांव को जोड़ने वाली सड़क पर हजारों गड्ढे हैं लेकिन यहां भी जनता के दर्द को समझने वाला कोई नहीं,इसी तरह मियांपुर गांव को जोड़ने वाली सड़क भी जर्जर हो चुकी है,गांव में जगह जगह जलभराव की समस्या है लेकिन जनता के दुख दर्द बांटने का दावा करने वाले सदस्य जिला पंचायत चुनाव के बाद से ही गायब हैं,लोगों की मानें तो जनता इस बार किसी बड़े परिवर्तन के मूड में दिखाई दे रही है,वहीं इस क्षेत्र में फिलहाल दर्जन भर से ज्यादा भावी प्रत्याशियों के पोस्टर फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नजर आने लगे हैं,और हर कोई अपनी जीत के समीकरण साधने में लगा है,लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इनमें अधिकतर लोगों के पास अपना बूथ जीतने की भी क्षमता नहीं है।