हरदोई में डेढ़ साल बीतने के बाद भी नहीं लग सका GSAT कंपनी का प्लांट, निराश्रित पशुओं के संरक्षण और दुग्ध उत्पादन का होना था कार्य, प्रबंध निदेशक बोले- अगर प्रशासन इसी तरह उदासीन रहा तो विड्रा करें

हरदोई। गोल्ड सनशाइन एग्रोटेक कंपनी को एमओयू साइन किए हुए डेढ़ वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अभी तक प्रशासन की उदासीनता के चलते कंपनी को जमीन का आवंटन नहीं हो सका है। जिससे कंपनी को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना गौपालन में रोड़ा अटक रहा है। जिससे परेशान होकर कंपनी के प्रबंध निदेशक ने कहा कि अगर हमारी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वह इन्वेस्ट नहीं करेंगे और यूपी से अपना एमओयू विड्रा कर लेंगे।

उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिति का आयोजन कर व्यापार को बढ़ावा देने का दावा किया जा रहा है लेकिन हरदोई में इसकी हकीकत बिल्कुल इतर हैं। प्रदेश में इन्वेस्टर्स को लाने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने काफी प्रयास किए थे। गौपालन और दुग्ध उत्पादन मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल है। जिसमें डेढ़ साल पहले गोल्ड सनशाइन एग्रोटेक सर्विसेज कंपनी ने 205 करोड़ का एमओयू साइन किया था। कंपनी का मुख्य उद्देश्य उदासीन देशी गायों के नस्ल सुधार में बढ़ावा देना है। ETT एंब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी एमएस 6 सॉर्टेड सीमेन के जरिए बुल की डोज से सुधार नस्ल पैदा करना और निराश्रित पशुओं के पुनर्वास हेतु संरक्षण व प्रजनन उपयोग के कार्य भी शामिल है। ब्रीडिंग के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए पशुओं में होने वाली बीमारियों व उनके इलाज हेतु सेंसर डिवाइस एप्लीकेशन (SDA) स्थापित की जाना थी। इसी तरह से यह कंपनी देशी गौवंशों के पालन पोषण का कार्य हरदोई जनपद के नीर और अकबरपुर में करना चाहती थी लेकिन स्थानीय प्रशासन के उदासीनता के चलते कंपनी को जमीन नहीं उपलब्ध हो पा रही है। जिसके चलते डेढ़ वर्ष से कंपनी का प्लांट लगाने का कार्य फंसा हुआ है। जिससे स्थानीय ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं पहुंच रहा है और कंपनी को भी नुकसान हो रहा है।

कंपनी के प्रबंध निदेशक शैलेश सिंह उज्ज्वल ने बताया कि इसके बारे में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव समेत राजस्व कमिश्नर से बात हो चुकी है, वहां से हरदोई प्रशासन को निर्देश भी प्राप्त हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके प्रोजेक्ट पर उदासीनता दिखाई जा रही है और जमीन का आवंटन नहीं किया जा रहा है। जिससे सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में रुकावट पैदा हो रही है। अगर उनको इसी तरह समस्या आती रही तो वह मजबूरन अपने कंपनी के एमओयू को विड्रा कर लेंगे।