शारदा सहायक नहर में दिखने वाले शवों का नही कोई राजदार

ऊंचाहार,रायबरेली।शारदा सहायक नहर में आने वाले शव गुम नाम ही रह जाते है,जिनका कोई दमदार पैरोकार नही होता,पुलिस भी उन्हें शारदा सहायक नहर से निकाल कर शिनाख्त करवाना उचित नहीं समझती है।शिनाख्त होने पर परिजनों को शव मिल जायेगा और मृत्यु की कारणों की सही जानकारी भी हो पाएगी।जो गरीब तबके या वैसे कुछ लोग पुलिस प्रशासन के लफड़े से बचने के लिए गुमशुदा को कुछ दिन नाते रिश्तेदारों के खोजने में वक्त गुजार देते है,बाद में यह सोचकर बैठ जाते है शायद परदेश कमाने के लिए किसी के साथ गया होगा।लेकिन सभी अपनी जिम्मेदारी से अपना पल्ला झाड़ लेते है।जिससे कुछ शव गुमनाम ही बहते पानी में दफन हो जाते है।जिनका आगे पीछे कोई रोने वाला नही होता,वैसे ही समाज के रक्षक भी इन गुमनाम शवो के बारे ज्यादा परेशान नहीं होना चाहते,बरसात का मौसम आ गया, अब आए दिन शारदा सहायक नहरों में शवो के आने सिल सिला बरसात भर चालू रहेगा।वैसे भी शारदा सहायक केवल गुडवर्क के लिए लिए ही प्रसिद्ध है और खाकी को भी छोटे मोटे गंजेडियो,स्मैकियों को पकड़ कर अपना पीठ थपथपाने की लत सी लग गई।सबसे बड़ा सवाल यह है नहर के माध्यम से आने वाले शवों का कोई भी राजदार नही,जिससे उनको अंतिम विदाई भी सुकून से मिल सके।जबकि शनिवार दोपहर को लगभग 10 या 12 वर्षीय बच्चे का उतराता नजर आया राहगीरों ने भी वीडियो बनाया और सूचना दी,किंतु जिम्मेदारों ने ऐसी जिम्मेदारी निभाई की जिसका कोई तोड़ नही।