युवराज हत्याकांड में पाली पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल, एसपी ने मुठभेड़ के बाद कहा 4 बाल अपचारियों को संरक्षण में लिया गया, फिर कोतवाल ने एफआईआर में बालिग दर्शाकर भेजा जेल

हरदोई। पाली में हुए युवराज हत्याकांड को लेकर पुलिस का स्टैंड लगातार बदलता जा रहा है, घटना के एक अभियुक्त को पुलिस मुठभेड़ में टांग में गोली लगी थी, जिसके तुरंत बाद एसपी केशव चंद गोस्वामी उन्होंने 4 बाल अपचारियों को भी पुलिस संरक्षण में लेने की बात कही थी। लेकिन पाली थाने के प्रभारी निरीक्षक ने मुठभेड़ के बाद दर्ज कराई रिपोर्ट में सभी बाल अपचारियों को बालिग माना है और उन्हें अपनी एफआईआर में बदमाश कहकर संबोधित किया है। पुलिस ने सभी को जेल भेज दिया है।

बताते चलें कि बीती 30 मई की शाम को पाली कस्बे के मोहल्ला बिरहाना में निर्माणाधीन पुलिस चौकी के पास इस्माइलपुर गांव निवासी युवराज सिंह उर्फ यूवी ठाकुर पुत्र संजय सिंह को अदनान और उसके साथियों ने मारपीट के बाद गोली मार दी थी। मृतक युवराज के ताऊ की तहरीर पर पुलिस ने तीन नामजद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, जिसके अगले दिन सांडी खेड़ा के पास एक बंद पड़े भट्ठे में अभियुक्त कामरान पुत्र सब्बुल निवासी मोहल्ला मलिकाना से पुलिस की मुठभेड़ हुई, जिसमें कामरान को टांग में गोली लगी? तथा दो पुलिसकर्मियों के घायल होने की बात कही गई। कामरान व पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया तथा पुलिस ने यह भी कहा कि कामरान के अलावा पुलिस ने चार बाल अपचारियों को भी संरक्षण में लिया है, जिनके पास से तमंचा कारतूस बरामद हुए। मुठभेड़ के कुछ समय बाद दी बाइट में पुलिस अधीक्षक केशव चंद गोस्वामी ने बताया कि मुठभेड़ में कामरान के अलावा 4 बाल अपचारियों को पुलिस संरक्षण में लिया गया है। पुलिस अधीक्षक के बयान से बिल्कुल विपरीत जाकर पाली थाने के प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार राय ने मुठभेड़ से संबंधित दर्ज कराई एफआईआर संख्या 241/2024 में अदनान पुत्र इकराम निवासी मोहल्ला बाजार की उम्र 19 वर्ष, जुनैद पुत्र इकराम निवासी मोहल्ला इमाम चौक की उम्र 20 वर्ष, जुबैर पुत्र माजिद निवासी मोहल्ला मलिकाना की उम्र 20 वर्ष तथा अदनान पुत्र शब्बन फौजी निवासी मोहल्ला इमाम चौक की उम्र 19 वर्ष लिखी है। चारों को एफआईआर में बदमाश कह के संबोधित किया गया है। पाली थाना पुलिस ने उपरोक्त कामरान सहित सभी पांचों आरोपियों को शनिवार को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया, जबकि बाल अपचारियों को बाल सुधार गृह भेजा जाता है। पुलिस की इस कार्रवाई पर तमाम प्रकार के सवाल भी खड़े हो रहे हैं और पुलिस की पूरे मामले में जमकर किरकिरी हो रही है।