बच्चो को उसकी इच्छा के अनुसार शिक्षित की जाय :डाॅ.सुनील कुमार विश्वकर्मा 

रसडा़ ,बलिया(देवव्रत संवाद) तहसील अंतर्गत नगरा ब्लाक के पट्टी छिब्बी( लाला के पूरा) छिब्बी बलिया के चित्रगुप्त एजुकेशनल टेम्पल एवं हाई स्कूल के वार्षिक उत्सव गुरूवार को समारोह का आयोजन किया गया जिसमे भगवान राम के प्रतिमा को रेखांकित करने वाले चित्रकार डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा 'ललित कला विभागाध्यक्ष काशी विद्यापीठ वाराणसी' मुख्य अतिथि के रूप में व विशिष्ट अतिथि के रूप में सत्येंद्र कुमार शर्मा उपस्थित रहे।इस अवसर पर वतौर मुख्य् अतिथि विश्वकर्मा ने कहा कि मै कलाकार चित्रकार हू मेरा सौभाग्य है कि शिक्षा की मंदिर में आप सब की प्रेम व हमे योग्य समझ बोलाया है जिसे मै इस विद्यालय के शिक्षक गुरूववृन्द को धन्यबाद देता हूं यहां पर मै पाया की बच्चो को संस्काररहित शिक्षा दी जा रही जिसे इनके अन्दर कुटि कुटि के कला भरा है जिसे इन बच्चो बच्चियो द्वारा मनोहर मनमोहक कला का प्रदर्शन कर लोगो के दिलो को जीत लिया है। मै कलाकार के नाते यह कहना चाहता हूँ कि बच्चो को उसके इच्छा रूचि के अनुसार शिक्षित की जाय जो जिस तरफ जाना चाहे वैस ही शिक्षा दी जाय कोई डाक्टर बनना चाहता है कोई इन्जीनियर बनना चाहता है कोई कला की तरफ आकर्शित हो रहा है उसे कलाकार की उसके रूचि को ध्यान रख शिक्षा दी जाय हमने देखा है कि बहुत से अभिभावक गार्जियन डाक्टर इन्जीनियर अन्य आईएस पीसीएस पर दबाव डालते है जिसे मै कई पढ़ने वाले बच्चो को आत्महत्या करते सुना एवंम् मिला है, मै भी अपने शिक्षा विद्यार्थी जीवन मे पढ़ाई में चित्रकार कला की तरफ ध्यान ज्यादा देता था चित्रकारी मे लगा रहता था किन्तु हमे घर के किसी अभिभावक, गार्जियन ने रोकटोक नही किया मेरे रूचि के अनुसार पढ़ने दिया जिससे आज इस मोकाम पर पहुँचा हूं।इसी क्रम में विशिष्ठ अतिथि सत्येन्द्र शर्मा ने कहा कि एक समय मै एक तालाब के किनारे बैठा था जहां तालाब में चार पांच बच्चे स्नान कर रहे थे कुछ समय अन्तराल उन बच्चो के अभिभावक गार्जियन आये और डाटते बोला क्या नहाते रहोगे चलो निकलो दूसरा आया वह भी अपने बच्चे से कहा चलो ज्यादा नहाने ठंड लग जायेगी तीसरा आया डाटते हुए बोला क्या दिन भर नहाते रहोगे कुछ हो जाता तो चौथा आया और बोला चल निकल अगर डूब जायेगा। तो उक्त गार्जियन का ध्यान मेरे तरफ पड़ा और बोला की यहां बैठकर सब देख रहा है इनको समझाते नही डाटते नही अगर ये डूब जाते तो क्या होता, मुह देख रहा है तब मै बोला बच्चो तुम होनहार हो और तैराकी बनो जिससे विश्व मे आइशटीन की तरह बनो और अपना नाम विख्यात करो।कार्यक्रम के पूर्व मां सरस्वती के चित्र पर प्रबन्धक व प्रधानाचार्य ने संयुक्त रूप से पुष्प अर्पित व माल्यार्पण तथा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। तत्पश्चात मुख्य अतिथि देव भव,तथा बिशिष्ठ अतिथि, एवं अतिथियो को माला पहनाकर बुके प्रदान कर व अंगबस्त्र से सम्मानित किया गया।बच्चियो द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत कर स्वागत किया गया। इस इस स्कूल से एक होनहार को सर्विस मे चयन कर लिया गया उसे भी सम्मानित किया गया वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में बच्चों बच्चियों द्वारा भिन्न भिन्न प्रकार के मनमोक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया जिसमे वाराणी (काशी) व उजैन के माहाकाल तांडव नृत्य,हनुमान चालिसा श्रीराम जानकी लक्ष्मण झांकी दरबार नृत्य आदि शक्ति मां दुर्गा मां संतोषी गीत लूगीं नृत्य गोड़ऊ अन्य लोक गीत बच्चो द्वारा एकांकित मनमोक प्रस्तुत कर उपस्थित अभिभावक पूर्व के छात्र छात्राओ गणमान्य लोग अतिथियो को अपने कला गीत संगीत उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अजूबा दृश्य प्रस्तुत कर, मन मोहलिया और सोचने पर मजबूर कर दिया कार्यक्रम मे स्कूल के प्रबन्धक व प्राधानाचार्य शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव अपने संबोधन मे कहा कि, गारा माटी ईट से बना बिद्यालय, विद्यालय नही होता विद्यालय वह जहा बच्चे विद्या अच्छे संस्कार गुणवान होकर क्षेत्र कालेज देश मे अपने योग्याता का प्रदर्शन कर नाम रौशन करे। अपितु शिक्षक गुरूजन अपने शिक्षा के बल पर बच्चो को संस्कारित कर जिसे वे माता पिता का सेवा विद्याअर्जित कर होनहार अव्वल आत्म निर्भर बनकर देश समाज का सेवा करे। हमने इंगलिस माध्यम के स्कूल में इंगलिस मे भी संस्कार युक्त शिक्षा देने की व्यवस्था से शिचिंत करने के लिए उत्प्रेरित करता हूं आज के दौर जैसे माता पिता को बृद्धाआश्रम न जाना पड़े क्योकि आज इंगलिस स्कूल मे पढ़े बच्चे सर्विस तो पा जाते है और दूसरे जगह दूर रहकर बर्षो माता पिता का ध्यान नही देते,अगर ध्यान, ख्याल आया तो अपार धन अर्जित कर अपार धन पैसा होने के बावजुद माता पिता को बृद्धाआश्रम मे भेजने कार्य करते है ऐसे अपार धन पैसे का अहमियत सब असफल है। हमे गर्व है कि मे विद्यालय से बच्चे संस्कार रहित अपने परिवार माता पिता का ख्याल रख कर अच्छे पदो पर सर्विस करते हूए सम्मान पूर्वक जीवन व्यतित कर रहे। मै कम फीस लेकर बच्चो को मार्ग दर्शन कराते है हमे यह हर्ष हो रहा कि आज जिस तरह वार्षिकोत्सव मे अभिभावक पैरेन्ट उपस्थित है मेरे स्कूल के मिटींग बैठक मे इसी तरह का भाग ले और हमे अपने राय,संदेश व ओजस्वी बात से मार्ग दर्शन कराये जिससे मै मेरे स्कूल विद्यार्थी अधिक संस्कारित शिक्षा पाकर उन्नति करे। इस अवसर पर अध्यापक अध्यापिका कार्यक्रम को सफल बनाने मे विशेष योगदान रहा।जिससे स्वयं कोरियो ग्राफी बच्चियो के बदलौत विभिन्न प्रकार का मनमोक कार्यक्रम का प्रदर्शन व कला का प्रदर्बशन बच्चियो द्वारा की गयी। उन बच्चियो को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अन्त मे संयोजक डाँ आदित्य कुमार अंशु ने सबके प्रति अभार व्यक्त किया शिक्षक व शिक्षिकाओ का भी अभार व्यक्त किया।