कन्नौज: अपने बुने जाल में खुद ही ट्रेप हो गयी एंटी करप्शन की ट्रेप टीम

कन्नौज। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दफ्तर के वरिष्ठ लिपिक को रिश्वत लेने के आरोप में जेल भेजने वाली एंटी करप्शन टीम खुद अपने ही बुने जाल में फंस गई है। सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद पुलिस अधीक्षक एंटी करप्शन लखनऊ ने जांच के लिए अपर पुलिस अधीक्षक को बीएसए दफ्तर भेजा। एएसपी ने कार्रवाई करने वाली टीम और विभाग के कर्मचारियों से बंद कमरे में काफी देर तक पूछताछ की। बाद में उन्होंने संकेत दिए कि इस प्रकरण में ट्रैप टीम पर कार्रवाई हो सकती है।

सोमवार को भ्रष्टाचार निवारण संगठन लखनऊ की अपर पुलिस अधीक्षक इंदुप्रभा सिंह बीएसए कार्यालय पहुंचीं, उनके साथ कानपुर मंडल की ट्रैप टीम के प्रभारी मृत्युंजय कुमार मिश्रा भी थे। बीएसए उपासना रानी वर्मा ऑफिस में नहीं थीं। वहां मौजूद कर्मचारियों ने जैसे ही एंटी करप्शन टीम को देखा तो वह दफ्तर छोड़कर भाग गए। इस पर एएसपी ने बीएसए से फोन पर वार्ता की और वीडियो फुटेज की जांच करने की बात कही। बीएसए के निर्देश पर लिपिक प्रदीप सक्सेना पहुंचे और एएसपी को उस दिन की कार्रवाई के बारे में बताया। उन्होंने अन्य कर्मचारियों से पूछा तो सभी ने एंटी करप्शन टीम की कार्रवाई को गलत ठहराया। सभी के बयान बंद कमरे में मोबाइल में रिकॉर्ड किए गए। एएसपी (एंटी करप्शन) ने पत्रकारों को बताया कि बीएसए कार्यालय के लिपिक विमल पांडेय को ट्रैप करने वाली टीम का एक सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर इसकी सत्यता की जांच करने वह आईं हैं। दफ्तर में कर्मचारी कम मिले हैं, इसलिए वह दोबारा जांच करने आएंगीं जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होगी।

ट्रैप टीम के चेहरे की उड़ी रंगत

बीएसए कार्यालय में जांच करने पहुंची एएसपी (एंटी करप्शन) इंदुप्रभा सिंह के साथ ट्रैप टीम के प्रभारी निरीक्षक मृत्युंजय कुमार मिश्रा समेत अन्य कई लोग थे। सभी के चेहरे की रंगत उड़ी थी। पूछताछ के दौरान एएसपी ने कई बार टीम प्रभारी को फटकार भी लगाई। उन्होंने माना कि सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद एंटी करप्शन टीम पर कार्रवाई हो सकती है। जब पत्रकारों ने बताया कि ट्रैप टीम का एक होटल में स्थानीय लोगों और शिक्षकों के साथ एक वीडियो और वायरल हो रहा है, तो एएसपी ने बताया कि इसकी भी जांच की जाएगी।

एएसपी को जब बुलानी पड़ी पुलिस

एएसपी (एंटी करप्शन) इंदुप्रभा सिंह मीडिया कर्मियों के सवालों से बचतीं नजर आईं। बीएसए दफ्तर में भीड़ देख उन्होने स्थानीय पुलिस अफसरों से बात की, जिस पर जिला अस्पताल चौकी प्रभारी रोहित सिंह मौके पर पहुंचे। वे वापसी के लिए काफी देर तक वह बाहर का दरवाजा तलाशतीं रहीं, लेकिन पिछला दरवाजा बंद होने के कारण वह मुख्य द्वार से ही निकलीं, उसी समय पत्रकारों ने उन्हें घेर कर सवालों की झड़ी लगा दी हालांकि वह जांच करने की बात कहने के अतिरिक्त अन्य सवालों से बचतीं नजरआईं।

डीएम से मिली अपर पुलिस अधीक्षक

काफी देर की माथापच्ची के बाद भी 2005 बैच की पीपीएस अफसर इंदु प्रभा सिंह को विभाग की छवि बचाने लायक कुछ हाथ नही लगा तो अंततः वे बीएसए कार्यालय से निकलकर स्थानीय पुलिस अफसरों की शरण के पहुंची और उनसे लम्बी मन्त्रणा की। चूंकि नियमानुसार जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित दो अफसर भी इस छापामार कार्रवाई का हिस्सा थे इसलिए उनका बयान लेने और आज के मामले की स्टेटस रिपोर्ट डीएम को पेश करने के लिए अपर पुलिस अधीक्षक कलेक्ट्रेट पहुंची। कलेक्ट्रेट के प्रवेश द्वार पर छापामार कार्रवाई के विरोध में ज्ञापन देने के लिए जुटे कर्मचारी संगठनों, खासकर शिक्षक संगठनों के नेताओं की निगाह से बचने के लिए श्रीमती सिंह कलेक्ट्रेट के उस भाग में टहलती नज़र आई जहां आमतौर पर डीएम के मुलाकाती नही जाते। दरअसल उस समय डीएम कलेक्ट्रेट में नही थे किंतु उनसे फोन पर वार्ता के बाद ही वे कलेक्ट्रेट पहुंची थी। डीएम से संक्षिप्त वार्ता कर अपर पुलिस अधीक्षक और छापामार टीम शहर से लौट गई।

संदिग्ध सूची वायरल

इसी बीच सोशल मीडिया पर एक सूची वायरल हो गयी जिसमे उन लोगो के नाम है जो कथित तौर पर इस पूरी छापामार कार्रवाई का हिस्सा बने थे। इनमे से लिपिक विमल को जबरन पैसे थमाने की कोशिश करने वाला, उस से मारपीट करने वाला, बीएसए के चेम्बर में घुसकर डीबीआर तोड़कर लूटने वाले लोगो के नाम लिखते हुए दावा किया गया है कि इनमें से एक बांगरमऊ उन्नाव, एक औरैया और एक आगरा में तैनात शिक्षक है। सूची में यह भी दावा किया गया है कि सब कथित शिक्षक एक संगठन विशेष के ही सदस्य हैं और अपनी इसी कार्यशैली के आधार पर विभिन्न जिलों में योजना बनाकर लूट करते है। इसी संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी के बारे में यह भी दावा किया गया है कि उसके एक करीबी रिश्तेदार भ्रष्टाचार निवारण संगठन में राजपत्रित अधिकारी के रूप में तैनात है। इस रिश्तेदारी की पुष्टि बिभिन्न सूत्रों से भी हुई है।

कर्मचारी संगठन रोष में, डीएम को संयुक्त ज्ञापन

दूसरी ओर इस घटना से आक्रोशित राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ समेत आधा दर्जन कर्मचारी संगठनों ने जिलाधिकारी को सम्बोधित एक ज्ञापन देर शाम अपर जिलाधिकारी आशीष कुमार सिंह को सौंपकर इस प्रकरण की सक्षम स्तर से जांच कराने और भविष्य में इस तरह की उत्पीडात्मक कार्रवाइयों पर रोक लगाने की मांग की है।