भोजपुरी पेंटिंग को पहचान दिलाती नूर सबा

आरा - जिज्ञासा नारी शक्ति केंद्र द्वारा चांदी मे 30 महिलओं के साथ प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन किया गया। भोजपुर के डी डी एम रंजीत सिंह, एल डी एम राजेश कुमार, संस्था की सचिव नूर सबा और ट्रेनर पुष्पा देवी ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। नूर सबा ने कहा कि बिहार में कला और संस्कृति के नाम मधुबनी पेंटिंग और भाषा के रूप में भोजपुरी विश्व पटल पर अपनी पहचान रखता है. आमतौर पर लोग भोजपुरी को केवल एक भाषा के तौर पर ही जानते हैं, जबकि कला के रूप में भी इसकी एक पहचान रही है. लेकिन वर्तमान समय में भोजपुरी भाषा का अस्तित्व कहीं खोता नजर आ रहा है. भोजपुरी पेंटिंग के बारे में लोगों को जानकारी हो, ऐसा प्रतीत नहीं होता है. बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो मधुबनी पेंटिंग की तरह भोजपुरी पेंटिंग से वाकिफ होंगे. हालांकि कुछ ऐसे कलाकार आज भी हैं जो इस विलुप्त कला को पहचान दिलाने में लगे हुए हैं. महिलाएं हमेशा से धरोहर की पक्षधर होती हैं और जहां तक संभव हो सके प्रकृति के संरक्षण में अपनी महती भूमिका निभाती रहती है, जो भोजपुरी पेंटिग को एक अलग पहचान दिलाने में जुटी हुई हैं. उनका मानना है कि जिस प्रकार लोग मधुबनी पेंटिंग को मान-सम्मान देते हैं और उसे अपनी धरोहर मानते हैं, उसी प्रकार भोजपुरी पेंटिंग को भी अपनाना और मान सम्मान मिलनी चाहिए क्योंकि वह भी बिहार की एक पहचान है. हालांकि भोजपुरी भाषा के अस्तित्व पर विलुप्ति का साया मंडरा रहा है, मगर नूर सबा का मानना है कि भोजपुरी पेंटिंग बिहार की लोक-कला है लेकिन आमजन जीवन में भोजपुरी पेंटिंग को नहीं शामिल करने के कारण लोगों को उसके बारे में जानकारी बहुत अधिक नहीं है. वह बताती है कि उनके लिए भोजपुरी पेंटिंग अभिव्यक्ति का साधन है, साथ ही आरा रेलवे स्टेशन पर भोजपुरी पेंटिंग बनाया जाना एक सकारात्मक कदम है, जिससे अनेक लोग लाभान्वित होंगे और कलाकारों को मौके मिलेंगे।