नशीली दवाओं का कारोबार,युवा हो रहे नशे का शिकार

कुरुद:- नगर के किशोर व युवाओं को नशे की इतनी लत लग गई है कि वे खांसी की दवा कोरेक्स व फैंसीडील सिरप को भी नशे के रूप में सेवन करने लगे हैं। कुरुद व ग्रामीण क्षेत्रों में ये दवा आसानी से मिल जाती है। नशीली दवाओं की बिक्री में बेतहाशा फायदा होने के कारण अब लोग घरों में भी इसकी बिक्री धडल्ले से करने लगे हैं। पूर्व धमतरी,कुरुद में जब्त बडी मात्रा में नशीली दवा इस बात का प्रमाण है कि लोग इन दवाओं का उपयोग बडे पैमाने पर नशे के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा नींद की गोलियां व एम्पुल भी बाजार में खप रही है। इसे खाने व लगाने के बाद लोग मदहोश हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में अपराध की संभावना बढ जाती है। नशीली दवाओं के चंगुल में खासकर किशोर व युवा पीढी हैं। इसमें निम्न व मध्यम वर्ग के लोग शामिल हैं। इन दवाओं का उपयोग करने वाले कुछ लोगों का कहना है कि शराब में बदबू आती है, जिसके चलते परिवार के लोगों से डांट खानी पडती है। जबकि इन दवाओं के उपयोग से लोगों को पता नहीं चलता और तलब भी पूरी हो जाती है। यह आसानी से मिल जाता है और राह चलते गटका जा सकता है। इन दवाओं की मांग में बढोतरी के चलते इसके भाव में भी इजाफा हुआ है। इसी तरह नींद की दवा नाइट्रोवेट टेन, अल्प्राक्स का भी नशे के रूप में सेवन किया जा रहा है। हालांकि इन दवाओं को डाक्टर के पर्ची बगैर नहीं दिया जाना चाहिए। मगर दवा दुकानों में यह आसानी से मिल जाती है। इन दवाओं के सेवन से क्षणिक स्फूर्ति का एहसास होता है, मगर स्वास्थ्य पर इसका विपरित प्रभाव पड़ता है।
इस विषय पर मेडिसिन विशेषज्ञ कहते हैं कि पेंटविन इंजेक्शन तत्काल नशा करता है. बोनफिक्स सूंघने से नशा होता है, कॉरेक्स सिरप या कोई भी दवा जो नशा के रूप में ली जा रही है, वह व्यक्ति के स्नायु तंत्र, किडनी, लीवर पर बुरा प्रभाव डालता है और पेरालाइसिस का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड आर्गेनाइजेशन के निर्देश के अनुसार नींद की गोली तथा हैवी एंटीबयोटिक दवा के लिए एमबीबीएस डॉक्टर की परची जरूरी है।