वन विकास निगम का खाज है - राजेश्वर पयासी

उमरिया। वन विकास निगम में भ्रष्टाचार के पुरोधा के नाम से विख्यात डिप्टी रेंजर राजेश्वर प्रसाद मिश्रा उर्फ राजेश्वर पयासी वन विकास निगम के आला अधिकारियों पर भी भारी पड़ रहा है। वन विकास निगम के आला अधिकारी राजेश्वर पयासी के भ्रष्टाचार, निरंकुशता व स्वेच्छाचारिता के कारनामों से भिज्ञ होने के बाद भी उस पर नकेल कसने पर स्वयं को असमर्थ महसूस कर रहे हैं। विभागीय कर्मचारियों का तो यहाँ तक कहना है कि राजेश्वर पयासी के सामने संभागीय प्रबंधक बौने नजर आते हैं तथा पयासी से सहमें सहमें रहते हैं।

रसूख के बल पर मिले कई प्रभार -

पयासी के रसूख का आलम यह है कि वरिष्ठ अधिकारियों के होने के बाद भी पयासी जैसे कनिष्ठ कर्मचारी को संभागीय प्रबंधक उमरिया परियोजना मंडल ने तीन रेंजों का एक साथ प्रभार तथा खदानी रोपण का चार जगह का प्रभार सौंप रखा है। पयासी के पास उमरिया रेन्ज, चंदिया नर्सरी, खदानी रोपण क्षेत्र सोहागपुर, जोहिला, कुटेश्वर, माइन्स, रेल्वे, डिपो प्रभारी उमरिया, वाहन प्रभारी तथा भवन प्रभारी के प्रभार हैं। इन प्रभारों के तहत आवंटित भारी भरकम राशि से पयासी ने वन विकास निगम में भ्रष्टाचार का तांडव मचा रखा है। ऐसा प्रतीत होता है कि संभागीय प्रबंधक को पूरे उमरिया परियोजना मंडल में पयासी ही सबसे योग्य कर्मचारी नजर आता है या यूँ कहें कि उनके हितों को साधने में नियम कायदों को ताक पर रखकर काम करने वाला सबसे साहसी पात्र एक मात्र पयासी ही है।

प्रधानमंत्री को की गई शिकायत से उजागर हुए आसामी बनने का राज -

पयासी द्वारा वन विकास निगम में किये जा रहे भ्रष्टाचार व स्वेच्छाचारिता से आजिज आकर वन विकास निगम के कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में पयासी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वन विकास निगम के कर्मचारियों के अनुसार पयासी ने सीपीटी ट्रेंच लाइन खुदाई कार्य C/88/ 834 /C/91 / 829 -C / 210 /21 वर्ष 2022 में जेसीबी मशीन से कराया है। लेकिन इस कार्य के लिए 65000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति महीने कुल लगभग 25 लाख रू0 मजदूरों के खाते में डालकर फिर उनसे राशि वापस ले ली गई है। कर्मचारियों का आरोप है कि इस भ्रष्टाचार में तत्कालीन संभागीय प्रबंधक अनिल चोपड़ा की भी मिलीभगत है।

SECL के पैसों से पयासी ने तैयार कर दी पीढ़ियों के लिए संपत्ति -

एस. ई. सी. एल. में खदानी रोपण जोहिला, सोहागपुर, हसदेव, जमुना कोतमा में द्वितीय वर्ष रोपण के लिए 2 लाख गड्ढे नहीं खोदे गए। इन गड्ढों की खुदाई का लगभग 50-60 लाख रु० अपने लड़के की पत्नी, नाती, बिटिया, पत्नी के खातों में डालकर पयासी नें फर्जी भुगतान किया है। जोहिला प्रोजेक्ट खदानी रोपण में बेड न बनवाकर एवं कोई भी कार्य न करवाकर पयासी द्वारा 30-35 लाख रु० निकलवा लिया गया है। रेल्वे में रोपण क्षेत्र में 85317 रु० का फर्जी प्रमाणक बनाकर भुगतान पयासी के लड़कों और परिवार के लोगों को किया गया है।

रसूख के बल पर नियुक्त किया चौकीदार -

राजेश्वर पयासी के कारनामें यहीं पर विराम नहीं लेते हैं। पयासी ने लवकुमार पिता रामपाल, सुशील पिता राजेश्वर मिश्रा (पयासी), सरोज पति शिवकुमार, पुष्पराज पिता रामलाल को चौकीदारी के काम में रखा हुआ है। ये व्यक्ति कभी काम पर नहीं जाते हैं, लेकिन पयासी का कृपापात्र होने के कारण इन्हें हर माह फर्जी भुगतान प्राप्त हो जाता है। इनमें से पुष्पराज कालेज का नियमित विद्यार्थी है और नियमत: उसे शासकीय कार्य में नियुक्त नहीं किया जा सकता है। पयासी का यह कृत्य यह बताता है कि वह शासन के नियम कानूनों को अपने जूतों की नोक पर रखता है।

40 वर्ष के कार्यकाल में पयासी ने सरकारी धन से खड़ा कर दिया अंपायर -

पयासी वर्ष 1983 में म.प्र. राज्य वन विकास निगम लिमिटेड उमरिया परियोजना मंडल में वनरक्षक के पद पर नियुक्त हुआ था और 2015 में प्रमोशन पाकर डिप्टी रेंजर बन गया था। अपने 40 वर्ष के सेवाकाल में पयासी ने अनाप शनाप संपत्ति जोड़ी है।कर्मचारियों का आरोप है कि पयासी के पास, एक स्कार्पियो एम.पी. 54 बी-9501, इनोवा एम.पी. 20 - 5708, टाटा सफारी एम.पी. 20 सी.ई.2041, जीप एम.पी. 64. डी 0298, ट्रैक्टर आयशर, ट्रैक्टर पावरट्रेक नीले कलर का, दो बुलेट, दो मोटर सायकिल, एक स्कूटी, खलेसर में 19 कमरे का आलीशान मकान है जिसकी कीमत लगभग एक करोड़ रू० है, जिसमें 20 लाख रु० का सागौन का फर्नीचर मौजूद है। पयासी विलायतकला में स्लीमनाबाद तिराहा में पेट्रोल पम्प के लिए 75 लाख रु० की जमीन खरीदा है। ग्राम चंदवार जिला उमरिया में 25 से 30 एकड़ कृषि भूमि खरीदा है।

डिप्टी रेंजर ने चौकीदार के नाम भी खड़ी की बेनामी संपत्ति -

पयासी के घर में काम करने वाले चौकीदार के नाम भी इंडिका विस्टा, एक बोलेरो, एक मोटर साइकल एवं अन्य संपत्ति खरीदी गई है। ग्राम गिलोथर निवासी सत्यभान चौकीदार जो पयासी के घर में खाना बनाने का काम करता है, उसकी लड़की, लड़का, भाई, पत्नी, दामाद के खातों में हर माह 30-35 हजार रु० प्रति व्यक्ति खाते में डालकर फर्जी भुगतान किया जा रहा है। ये लोग कभी काम में नहीं जाते हैं और कार्यक्षेत्र से 70 से 80 किमी. दूर रहते हैं। स्पष्ट है प्यासी राजकीय कोष को चूना लगाने का काम कर रहा है।

डीएम चोपड़ा का कार्यकाल पयासी के लिए साबित हुआ स्वर्णिम युग -

तत्कालीन संभागीय प्रबंधक अनिल चोपड़ा का कार्यकाल पयासी के लिए भ्रष्टाचार का स्वर्णिम युग रहा है। अनिल चोपड़ा के वरदहस्त तले पयासी ने "जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का" की तर्ज पर भ्रष्टाचार की नई इबारतें रच दीं। अनिल चोपड़ा के कार्यकाल में, पयासी द्वारा कराए गए, कार्यो की जांच भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों ई.ओ.डब्लू. या लोकायुक्त से कराई जाए तो करोड़ो रु० के भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो सकते है तथा वन विकास निगम के लिए भ्रष्टाचार का लाइलाज खाज बन चुके पयासी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हो सकता है।

* अगले अंक में हम पयासी के भ्रष्टाचार से जुड़े और मामलों का खुलासा करेंगे।