कन्नौज। गीता सर्...">

कन्नौज। गीता सर्...">

कन्नौज। गीता सर्...">

कन्नौज: गीता सर्व कालिक है, यह पढ़ने की नही जीवन मे उतारने की चीज है

स्व. सुधीर मिश्र की कृति "गीतानुवादम" के विमोचन समारोह में बोले सांसद और डीएम

कन्नौज। गीता सर्वकालिक है, गीता में हर समस्या का समाधान है। अगर अर्जुन के संशय का समाधान गीता में है, तो हमारे भी संशय का समाधान गीता में है।

गीता पढ़ोगे तो लगेगा ही नही कि यह हिन्दू का है, मुस्लिम का है, सिख का है, ईसाई का है। गीता में दो महापुरूषों, नारायण कृष्ण और नर अर्जुन का संवाद है लेकिन उस संवाद के माध्यम से आप जिस स्वरूप में अपने ईश्वर की कल्पना करना चाहे कर सकते है।

कल देर शाम हिन्दी दिवस के अवसर पर स्मृतिशेष सुधीर मिश्र की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर सांसद सुब्रत पाठक और जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल ने एम0एल0 होटल के सभागार में स्व. सुधीर मिश्र द्वारा लिखी गई पुस्तक श्रीमद्भगवत गीता का पद्यानुवाद ?गीतानुवादम्? पुस्तक का विमोचन करते हुये यह बात कही। सांसद ने सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर इस समारोह का शुभारंभ किया उन्होंने स्व. सुधीर मिश्र के चित्र पर पुष्प गुच्छ अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर कार्यक्रम में आये साहित्यकारों को जिलाधिकारी ने अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह व माल्यार्पण कर सम्मानित किया। इस मौके पर स्व. मिश्र के पुत्र एडवोकेट नलिन मिश्र द्वारा सांसद, जिलाधिकारी और अन्य अतिथिगण को अंग वस्त्र एंव स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। सांसद पाठक ने अपने सम्बोधन में स्व. मिश्र को स्वयं से जोड़ा और कहा कि मैंने उनके चरणों मे बैठकर बहुत कुछ सीखा है। आज मैं जो भी हूं उसमे बशूट बडा योगदान स्व. ताऊजी सुधीर मिश्र का है।

जिलाधिकारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्व0 सुधीर मिश्र द्वारा गीता का हिंदी पद्यानुवाद किया गया है वह श्लाघ्य है यद्यपि वह हमारे बीच नही है, लेकिन गीता का जो भाव है, जो उनके विचारों के माध्यम से लेखन के रूप में हमे मिल रहा है वह शाश्वत है, क्योंकि गीता शाश्वत है और रहेगी। गीता भी शाश्वत है और गीता के बारे में जो विभिन्न रूपों में प्रस्तुति की गई है वह भी शाश्वत है। कृष्ण ने गीता में समाधान दिया और शाश्वत समाधान दिया है गीता में ऐसी कोई परिस्थिति नही जिसका कोई समाधान नही है, उस परिस्थिति में गीता ने समाधान प्रस्तुत किया। गांडीवधारी अर्जुन ऐन मौके पर उनकी बुद्धि फिर गई, प्रकाण्डता धरी की धरी रह गई, गांडीव हिलने लगा, अपने बंधु, परिवारीजन चाचा, ताऊ को देखकर हाथ कांप गये। ऐसे में एक महापुरूष ने संवाद के माध्यम से उनका मोह भंग किया। यह भगवान की वाणी में ही दम था इसलिये गीता शाश्वत है चाहे जिस रूप में उसे अभिव्यक्त किया जाये, हिन्दी में हो अंग्रेजी में हो, गद्य में हो, पद्य में हो और गीता को सबने पढ़ा। गीता का रस है वह सब में है क्योकि भगवान सब में है इसलिये गीता में जो उतरते है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गीता में उतरते है आप वही पहुंच जाते हो जहां से गीता आरम्भ हुई है। उसमें योग की बात आई, ज्ञान के रूप में शुरूआत होती है गति योग, भक्ति योग, जैसे-जैसे आप उसमें उतरते जायेगे। गीता 18 अध्याय तक सीमित नही है, सबकुछ गीता में है आप जिनता गीता को पढ़ोगे उतना आपका विवेक बढे़गा। जैसे-जैसे आप गीता के नजदीक जायेगें, वैसे-वैसे आपका गीता के प्रति भाव बदलता रहेगा। भगवान ने यह भी कहा कि आपकों ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग कुछ भी नही समझ आ रहा है तो मम शरण गच्छामि। गीता बहुत सरल है गीता जीवन में उतारने वाली चीज है श्रीमद्ध भागवत गीता पर जो चर्चा होगी, कवि/सात्यिकार आये हुये, गीता शाश्वत है सदैव इसको रहना है। गीता की जिनती चर्चा की जाये कम है। जितनी स्वरूप में आये उतना ही अच्छा है। क्योकि समाज में सब स्तर के लोग है सबके भाव भी अलग है। ऐसे महानुभाव लोग जिन्होनें पद्य के माध्यम से गीता को पद्य के रूप में प्रस्तुत किया है। आज हिन्दी दिवस भी है इसमें कोई अतिश्योकित नही है। सभी लोग जानते है कि मातृभाषा कुछ और ही है। इसपर जोर भी दिया जाने लगा है हमारी कार्य संस्कृति में काफी हद तक हिन्दी का प्रयोग होने लगा है। यह भी आवश्यक है

हमें दुनिया में आगे जाना है तो दुनिया की भाषा की योग्यता हासिल करनी होगी, किन्तु हिन्दी हमारी मातृभाषा है। गीता पढ़ोगे तो लगेगा ही नही कि यह हिन्दू धर्म का है या इस्लाम धर्म का है। बाइविल का है कुछ आपको समझ में नही आयेगा। इसमे महापुरूषों भगवान और अर्जुन का सम्वाद है लेकिन उस सम्बाद के माध्यम से आप जिस स्वरूप में अपने ईश्वर की कल्पना करना चाहेे कर सकते है। कृष्ण के रूप में देखना चाहते है या मोहम्मद साहब के रूप में देखना चाहेगे। गीता सर्वकालिक है। गीता में सब का समाधान है। कार्यक्रम का संचालन पंडित अमरनाथ दुबे जी द्वारा किया गया ।

इस अवसर पर डा0 जीवन शुक्ल, उमाशंकर, नीलम मिश्रा,एन0सी0 टण्डन आदि संबंधित साहित्यकार एंव वरिष्ठ नागरिक व परिजन उपस्थित थे।