कन्नौज: बीडीओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर फंस गई कन्नौज पुलिस

कन्नौज। अपने पोलिटिकल मास्टर्स को खुश करने के चक्कर मे कन्नौज पुलिस कुछ ऐसा कर बैठी कि अब न उगलते बन रहा है न निगलते। बात यहां तक पहुच गयी कि राज्य सरकार के दो टॉप ब्रास आमने सामने आ गए और ग्राम्य विकास विभाग के और मुख्य सचिव हिमांशु कुमार को गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार के लिए यह एडवाइजरी जारी पड़ी कि वे कन्नौज पुलिस को कुछ भी ऐसा करने से रोकने का स्पष्ट आदेश जारी करें ताकि आगे चलकर शासन के लिए असहज स्थिति पैदा न हो जाये। प्रदेश के ग्राम्य विकास आयुक्त गौरी शंकर प्रियदर्शी को आदेश दिया गया है कि वे कन्नौज जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर कुछ भी असहज होने से रोकें। इन सबकी वजह से खाकी की अब खूब किरकरी हो रही है। भले ही बीडीओ पर एक मंत्री के दबाव में एफआईआर दर्ज हुई हो लेकिन अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास का वह पत्र अब खूब वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने इस केस को लेकर अपर मुख्य सचिव गृह विभाग के लिए शासनादेश का पालन न करने की बात लिख दी। अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास विभाग हिमांशु कुमार ने 30 अक्टूबर को पत्र लिखकर अपर मुख्य सचिव गृह विभाग से कहा है कि सरकारी अधिकारियों / कर्मचारियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराने से संबंधित कार्मिक विभाग के शासनादेश 19 जुलाई 2005 और 24 मई 2012 हैं। अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों की ओर से बरती गई अनियमितता के प्रकाश में आने पर उसके खिलाफ अनुशासनिक / विभागीय कार्रवाई की जाएगी। यदि उसमें उसकी आपराधिक भूमिका पाई जाती है तो आपराधिक कृत्य के लिए नियुक्त प्राधिकारी न्याय विभाग का मत प्राप्त करके अभियोजन की कार्रवाई करेंगे। अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास ने यह भी कहा है कि बीडीओ कन्नौज अमित सिंह पर दर्ज रिपोर्ट के मामले में शासनादेश का पालन नहीं हुआ है। सीधे एफआईआर ही दर्ज करा दी गई है। उन्होंने अपर मुख्य सचिव गृह से कहा है कि डीएम शुभ्रान्त शुक्ल / एसपी अमित कुमार आनंद को अपने स्तर से निर्देश भेजने का कष्ट करें कि वे एक राजपत्रित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के परिप्रेक्ष्य में सुसंगत शासनादेश का गंभीरता पूर्वक संज्ञान लें और दर्ज एफआईआर के परिप्रेक्ष्य में इस प्रकार की किसी कार्रवाई की स्थिति उत्पन्न न होने पाए जिससे आगे चलकर कानूनी कठिनाइयों व शासन के लिए असमंजसपूर्ण स्थिति बने। वैसे हैरत की बात यह है कि कन्नौज पुलिस ने डीएम का अनुमोदन लिए बिना आनन फानन एफआईआर दर्ज भी कर ली वह भी बिना कोई प्राथमिक जांच किये। अब इतनी बेसिक बात तो आम आदमी भी जानता है कि बीडीओ एक राजपत्रित अधिकारी होता है और शासन की लिखित पूर्वानुमति के बिना उसके विरुद्ध न तो एफआईआर दर्ज की जा सकती है और न ही राज्यपाल के अनुमोदन के बिना अभियोजन की कार्रवाई की जा सकती है।