पुरुषोत्तम मास में भागवत कथा श्रवण से मिलती है पापों से मुक्ति : राधेश्याम शरण देवाचार्य

वृंदावन । पुरुषोत्तम मास में किए गए धार्मिक अनुष्ठान जप, तप, हवन, दान इत्यादि कार्य का फल कई गुना बढ़ कर प्राप्त होता है। श्री धाम वृंदावन के परिक्रमा मार्ग स्थित मिथिला कुंज आश्रम पर श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कथा के पंचम दिवस भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। व्यासपीठ से भागवत जी का रसपान कराते हुए द्वाराचार्ज जगद्गुरु श्रीमुकुन्ददेवाचार्य पीठाधीश्वर श्रीराधेश्यामशरणदेवाचार्य महाराज ने कहा कि कलयुग में भगवान का नाम स्मरण करने मात्र से कई वर्षों के तप का फल प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा में भगवान ने अलग-अलग अवतार लेकर राक्षसों का वध किया।
कथा के दौरान जैसे भगवान का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान लोग झूमने-नाचने लगे। भगवान श्रीकृष्ण की वेश में नन्हें बालक के दर्शन करने के लिए लोग लालायित नजर आ रहे थे। भगवान के जन्म की खुशी पर महिलाओं द्वारा अपने घरों से लगाए गए गुड़ के लड्?डूओं से भगवान को भोग लगाया गया। इतिहास पीटते महाराज श्री ने कहा कि जब धरती पर चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई, चारों ओर अत्याचार, अनाचार का साम्राज्य फैल गया तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी के आठवें गर्भ के रूप में जन्म लेकर कंस का संहार किया। इस अवसर पर उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं का वर्णन किया। कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। कथा में मुख्य रूप से महामण्डलेश्वर श्रीकिशोरीशरण महाराज, आचार्य हिमांशु शरण, आचार्य रामदत्त बाजपेई, आचार्य दया शंकर तिवारी, श्रीमती ममता देवी, श्रीमती सुनीता देवी, फूल कुमारी, प्रेम झा, इंदिरा झा, श्रीसूती नारायण झा, पुष्पा झा, जय माधव झा, कामलेश मिश्र, भुवनेश्वर मिश्र आदि उपस्थित रहे।