ओपी राजभर के बीजेपी में आने से अब क्या होगा कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर का, क्या घटेगा इनका कद, सताने लगी चिंता

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

लखनऊ- आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के साथ-साथ उनके बेटे के बीजेपी में शामिल होने के बाद राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि सुभासपा के एनडीए गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने में और मजबूती मिलेगी। और इसके साथ ही अब चट्टी चौराहों पर भी चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म है।

वही अगर दूसरी ओर बात की जाए तो राजभर समाज में दो नेता आते हैं. जिसमें एक ओमप्रकाश राजभर और दूसरे कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर. जिसमें दोनों नेता राजभर समाज में अपने-अपने पकड़ और राजभर समाज को एक मंच पर जुटाने का दावा करते हैं. लेकिन सूत्रों की माने तो खुद आपस में यह दोनों नेता एक दूसरे को पसंद नहीं करते. वही जब ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा समाजवादी पार्टी के गठबंधन के साथ 2022 में विधानसभा का चुनाव लड़ी थी जिसमें ओमप्रकाश राजभर ने अपने 5 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। जिसने वाराणसी जनपद की शिवपुर विधानसभा से अपने बेटे अरविंद राजभर को प्रत्याशी बनाकर खुद भाजपा के वर्तमान में विधायक और कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के खिलाफ मैदान में उतारा था। जिनको अनिल राजभर ने पराजित कर दिया। तभी से इन दोनों नेताओं की राजनीतिक लड़ाई भी शुरू हो गई।

ऐसे में एक बार फिर से समाजवादी पार्टी को छोड़ने के बाद एनडीए गठबंधन के साथ ओमप्रकाश राजभर के शामिल होने के साथ ही साथ उन्हें मंत्री पद मिलने की चर्चाओं के बीच कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के भी माथे पर चिंता की लकीरें सताने लगी हैं कि अगर कहीं ओमप्रकाश राजभर को मंत्री बना दिया गया तो फिर उनका क्या होगा। क्या बीजेपी में उनका कद घट जाएगा या फिर आगे कुछ और होगा।

हालांकि अगर बात करें तो आगामी लोकसभा चुनाव में यह देखा जा सकता है कि राजभर समाज के लोग इन दोनों नेताओं में से किस को अपना नेता मानते हैं और किसके साथ मिलकर खड़े रहते हैं। यह आने वाला भविष्य तय करेगा। हालांकि इन सब चर्चाओं को लेकर अभी तक कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. ना ही उन्होंने ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में शामिल होने को भी लेकर कुछ कहा है।