हजारों श्रद्धालुओं ने माँ गूँगा देवी के दर्शन कर की पूजा अर्चना

पूरनपुर, पीलीभीत।प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध माँ गूँगा देवी मंदिर पर अमावस्या से पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले में सोमवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने माँ गूँगा देवी के दर्शन कर पूजा अर्चना की और सर्व मंगल व कल्याण का आशीर्वाद लिया।विकासखंड पूरनपुर के गांव माती माफी में स्थित में प्राचीन माँ गूँगा देवी के सोमवार को हजारों की संख्या में भक्तों ने माँ के दर्शन कर पूजा अर्चना की।मंदिर प्रांगण में विशाल एवं भव्य मेले का आयोजन भी होता है। मेले में तरह तरह की खेल-खिलौने,मिठाई,चाट-पकौड़ी, फास्ट फूड,ठंडे पेय पदार्थ,बिसातखाने आदि की सैकड़ों दुकानें मेले में सजी हुई है। मेले में पहुंचे माँ के श्रद्धालु भक्तगणों ने मेले में घरेलू उपयोग में आने वाले सामग्री आदि की जमकर खरीदारी भी की।*मंदिर पर सुबह से शाम तक रहती है श्रद्धालुओं की भीड़*माँ गूँगा देवी मंदिर प्रांगण में प्राचीन काल से ही मेले का आयोजन होता चला आ रहा है।हर महीने की अमावस्या को मेले का आयोजन होता है जबकि आषाढ़ माह की अमावस्या से पूर्णिमा तक सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को मेले का आयोजन होता है।जिसमें जनपद पीलीभीत के अलावा पड़ोसी जिले शाहजहांपुर लखीमपुर आदि से भी श्रद्धालु अपने-अपने वाहनों से माँ गूँगा देवी के दर्शन पूजन के लिए आते हैं।*सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रही सेहरामऊ उत्तरी पुलिस*माँ गूँगा देवी मंदिर पर लगने वाले प्रसिद्ध जातों (आसाढ़ी)के मेले में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ मां के दर्शन पूजन के लिए एकत्र होती है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था के लिए थाना सेहरामऊ उत्तरी प्रभारी निरीक्षक कांत कुमार शर्मा ने एक उपनिरीक्षक व कई सिपाहियों को ड्यूटी पर लगाया है जो सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैदी से तैनात रही।माँ गूंगा देवी मंदिर के पुजारी सचिन गिरी बताते हैं कि माँ गूंगा देवी जी का मंदिर बहुत प्राचीन है और यहाँ माँ के दरबार में जो भक्त सच्चे मन से पूजा अर्चना करते हैं माँ उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं।माँ अपने भक्तों को कभी खाली हाथ नहीं लौटाती हैं।*माँ गूँगा देवी मंदिर पर श्रद्धालुओं की पूरी होती है मनोकामना*पीलीभीत जनपद की पूरनपुर तहसील से 23 किमी दूर स्थित माता गूँगा देवी का प्राचीन मंदिर स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पूरे जिले में आस्था का केंद्र है। कुर्रैया रेलवे हॉल्ट से लगा हुआ माती गाव में स्थित है। यह स्थान सरकार और विकास की नजरों से काफी दूर है।यहा के जर्जर मंदिरों की एक बार मरम्मत भी हुई।पुरातनकाल के शिलालेख व आभूषण अक्सर यहां स्थित खेडे पर लोगों को मिलते रहते है।इस स्थान की मान्यता इतनी अधिक है कि माती वाली मैया के दरबार में दामन फैलाकर जिस किसी ने जो भी मांगा वह कभी निराश नहीं हुआ। उसकी यहां मांगी गयी हर मुराद पूरी होती रही है।यहां हर समय मुंडन, भंडारे श्री रामचरित मानस पाठ,भजन कीर्तन आदि कार्यक्रम होते रहते हैं। हर अमावस्या को मेला लगता है। आषाढ मेले में इस स्थान पर लाखों की भीड़ एकत्र होती है। यह मेला पन्द्रह दिन चलता है। दूरदराज के दुकानदार मौत का कुआ, कालाजादू, विशाल झूले लगाने आते है। मंदिर से सटा तालाब भी विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका था। सरकार की मेहरबानी हुई और इसका कुछ विकास कराकर बचा लिया गया।