फैक्ट्री मालिकों ने चार जान की कीमत लगाई 50 लाख रुपये

बरेली हाईवे पर जेड गांव में अशोका फोम की फैक्ट्री में आग लगने से चार मजदूरों के जान की कीमत फैक्ट्री मालिकों ने 50 लाख रुपये लगाई है। जबकि गुस्साए परिजन ग्रामीणों के साथ नेशनल हाईवे पर जाम लगा कर एक मृतक को 50 लाख रुपये की मुआवजा समेत बच्चों की शिक्षा की जिम्मेवारी उठाने की मांग पर अड़े रहे।साढ़े 12 लाख रुपये में समझौता हो गया। वहीं फरीदपुर पुलिस ने फैक्ट्री मालिक नीरज गोयल, अशोक गोयल, मैनेजर अजय सक्सेना और पांच अज्ञात पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है। इस अग्निकांड में अरविंद, राकेश, अनूप गंगवार और अखिलेश शुक्ला की मौत हुई और दो गंभीर रूप से घायल मजदूरों का इलाज चल रहा है।बुधवार को फैक्ट्री में लगी आग के बाद गुरुवार को भी फैक्ट्री में सर्च अभियान चलाया गया। इस दौरान फैक्ट्री में आधी खोपड़ी बरामद हुई। जिससे फिर से माहौल गर्म हो गया। हालांकि यह खोपड़ी किसकी है इसकी पुलिस टीम जांच कर रही है। वहीं, ग्रामीणों ने फैक्ट्री मालिकों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।हंगामा कर रहे ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि आग में कई मजदूर गंभीर रूप से झुलसे जबकि पूछने पर फैक्ट्री प्रबंधन के लोगों ने बताया कि कोई हताहत नहीं हुआ। वहीं, घायल बब्लू, हंसराज और जितेंद्र गंगवार को तत्काल निजी अस्पताल भेजा गया। जहां से सभी को बरेली रेफर किया गया।कुछ देर बाद अरविंद और राकेश के परिजन फैक्ट्री में पहुंचे जहां पर दोनों की बाइकें फैक्ट्री परिसर में खड़ी थीं और मोबाइल फोन बंद था। लेकिन, फैक्ट्री प्रबंधन परिजनों को मजदूरों के सुरक्षित होने का आश्वासन देता रहा। इसी बीच फैक्ट्री मेनेजर किशन ने परिजनों को बाहर निकालने को कहा। आग बुझी तो गैस कटर से टीन शेड काटने के बाद मजदूरों के शव निकाले गएग्रामीणों ने नेशनल हाइवे पर ट्रैक्टर-ट्राली खड़ी कर जाम लगा दिया, जिसके कारण हाईवे पर 4 घंटे तक जाम लगा रहा। इस दौरान कई एंबुलेंस भी जाम में काफी देर फंसी रही, लेकिन ग्रामीणों ने एंबुलेंस को भी रास्ता नहीं दिया। पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के आने के बाद लोगों को समझा बुझा कर रास्ता साफ कराया गया। उसके बाद यातायात सुचारू हो सका।सभी मृतकों के परिजनों और फैक्ट्री प्रबंधन के बीच वार्ता हुई। जिसमें दोनों पक्षों के बीच 50 लाख रुपये में समझौता हुआ। साथ ही फैक्ट्री प्रबंधन ने मृतकों की पत्नियों को फैक्ट्री में नौकरी देने की बात भी स्वीकार की।इसी बीच अगर सभी की पत्नी दो से तीन माह तक अगर फैक्ट्री में आकर अपनी ड्यूटी करने में असमर्थ हैं तो उनके लिए तीन महीने का वेतन भी दिया जाएगा जो उनके पति को दिया जाता था। इसके साथ ही मृतक परिवार को 20-20 हजार रुपये भी अंतिम संस्कार के लिए दिए गए फैक्ट्री में मजदूरों के ठेकेदार सत्यपाल को बुलाकर जब नायब तहसीलदार दिव्यांशी सिंह ने मजदूरों का रिकार्ड मांगा तो ठेकेदार बगले झांकने लगा। जिस पर उसे तत्काल सूची उपलब्ध कराने को कहा गया। इस पर ठेकेदार ने बताया कि वह रोजाना मजदूरों को लाता है। बुधवार को भी वह 43 मजदूरों को पांच सौ रुपये की दिहाड़ी पर लाया था।हालांकि गुरुवार को मजदूरों की सूची ठेकेदार ने सौंप दी है। जिसका आकलन किया जा रहा है। कितने मजदूर बाहर हैं कहीं कोई अभी भी मलबे में तो नहीं दबा है। फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन गुरुवार को पूरे दिन दो जेसीबी मशीन और एक क्रेन के जरिए जारी रहा और गैस कटर से दिनभर गाटर और टीन को काटा गया।फैक्ट्री में आग लगने की सूचना इलाके में ही नहीं बल्कि लखनऊ तक इस आग की गूंज पहुंच गई। गुरुवार दोपहर को लखनऊ से फायर एडिशनल एसपी दिनेश कुमार फैक्ट्री पहुंचे। जहां पर उन्होंने करीब 3 घंटे तक रहकर जांच की और जाते समय बरेली सीएफओ को कई निर्देश भी दिए।अशोका फैक्ट्री में यह पहली बार आग नहीं लगी है। इसके पहले भी कई बार आग लग चुकी है। वहीं, आग लगने के बाद से ही क्षेत्र में हर किसी की जुबान पर यही सवाल है कि आखिर अशोका फोम फैक्ट्री में ही क्यों हर बार आग लगती है।वहीं लोगों का मानना है कि फैक्ट्री के मालिक बीमा की रकम वसूलने के लिए इस तरह का खेल तो नहीं खेलते हैं। अशोका फैक्ट्री की हालत ये है कि कोई भी बीमा कंपनी अब बीमा अब नहीं करती। हर बार नए बीमा कंपनी से बीमा कराया जाता है।फैक्ट्री मालिक नीरज गोयल रात के समय हादसा होने के कुछ देर बाद फैक्ट्री से गायब हो गए। गुरुवार को दोपहर करीब 2 बजे मृतक के परिजन शव लेकर गांव पहुंचने ही वाले थे कि इसी बीच नीरज गोयल गुरुवार को भी गायब हो गए।जब तक हंगामा चलता रहा नीरज गोयल मौके पर नहीं पहुंचे। वहीं नीरज गोयल के पक्ष के आए हुए इंडस्ट्रियल के साथी लोगों ने बताया कि उनके पिता का देहांत हो गया है। जिसमें गरुण-पुराण घर पर चल रहा है। जिसके कारण वह घर गए हुए हैं।30 अप्रैल 2016 को फैक्ट्री में आग लगने से फरीदपुर थाना क्षेत्र के ग्राम सुकटिया सिंधावरी निवासी मैनेजमेंट छात्र बिजनेश जल गया था। इलाज के बाद 12 दिन बाद उसकी मौत हो गई थी। 30 सितंबर 2019 को भी फैक्ट्री में आग लगी थी। इसके अलावा भी अन्य घटनाएं हुई हैं। फैक्ट्री मालिकों के पास फायर एनओओसी समेत कोई भी अग्निशमन यंत्र नहीं है। जिससे आग लगने पर शुरुआत में आग बुझाई जा सके। एक फायर एनओसी मिली है जो बहुत पहले एक्सपायर हो चुकी है। मामले की जांच की जा रही है।- चंद्रमोहन शर्मा, सीएफओ बरेली