मार्च 2018 से अद्यतन वेतन रोकने से सख्त हाईकोर्ट,उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा अधिकारी अवमाननावाद के दोषी

अमेठी।उत्तर प्रदेश सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शासन द्वारा निर्गत व राज्यपाल द्वारा अनुमोदित रेगुलर शासनादेशों की जमकर अवहेलना की जा रही है जिससे योगी सरकार बैकफुट पर है। ताजा प्रकरण रिटायर्ड जजों की सेवा के लिए नियुक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का वेतन रोकना है।इलाहाबाद हाईकोर्ट के वेतन देने के आदेश पर भी वेतन न देने पर अवमाननावाद के तहत सम्माननीय कोर्ट ने शासन के सचिव व विशेष सचिव को हिरासत मे ले लिया।ठीक इसी तरह 5 फरवरी 2014 को शासन ने उत्तर प्रदेश मे उच्च शिक्षकों के लिए माननीय राज्यपाल की अनुमति से शासनादेश निर्गत किया और फरवरी 2018 तक 4 वित्तीय वर्ष 6 कालेजों के 122 शिक्षकों को राजकोष से वेतन प्रदान किया।मार्च 2018 से अद्यतन वेतन रोकने से हाईकोर्ट सख्त हो गया तथा नियमानुसार वेतन निर्गत करने का आदेश दिया।जिम्मेदार उच्च शिक्षा अधिकारी माननीय कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं तथा कोर्ट के अवमाननावाद के दोषी हैं जो योगी सरकार के यूपी को भ्रष्टाचार मुक्त करने के अभियान को पलीता लगा रहे हैं। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा,उच्च शिक्षा निदेशक तथा अन्य अधिकारी सख्त कोर्ट के अवमाननावाद का सामना कैसे करते हैं संपूर्ण प्रदेश के शिक्षक व संभ्रांत नागरिक आगामी न्यायालय की तिथि का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं जो योगी सरकार की पारदर्शिता व उत्कृष्टता के लिए मील का पत्थर शाबित होगी।प्रदेश के नैक ए शिक्षक संघ के पदाधिकारियों डाॅ०नीरज सिंह,डाॅ०पुष्पलता,डाॅ०विनोद कबीर, डाॅ०मनोज शर्मा,डाॅ०सुधीर पाठक व शैक्षिक आध्यात्मिक गुरू मनीष तिवारी ने उच्च शिक्षा अधिकारियों से यूजीसी योग्यताधारी शिक्षकों को परेशान न करके नियमित वेतन निर्गत कराने की अनुशंसा की है जिससे योगी सरकार आम जनता के बीच उत्कृष्टता के मानक पर खरी उतर सके तथा प्रदेश मे उच्च शिक्षा गुणवत्ता संवर्धन को प्रोत्साहित किया जा सके।