पीलीभीत में न्यायालय से मुकदमा जीतने के बावजूद भाई नहीं होने दे रहा निर्माण कार्य,गाली गलौज कर निर्माणाधीन दीवार को तोड़ा,सूचना पर पहुंची जहानाबाद पुलिस तो न्यायालय के आदेश का हुआ अनुपालन,श

न्यायालय से मुकदमा जीतने के बावजूद भाई नहीं होने दे रहा निर्माण कार्य,पुलिस के हस्तक्षेप से न्यायालय के आदेश का हुआ अनुपालन,शुरू हुआ निर्माण कार्य।

राजेश गुप्ता संवाददाता पीलीभीत।

यूपी के जनपद पीलीभीत की कोतवाली जहानाबाद कस्बा के मोहल्ला काजी टोला निवासी पीड़ित दाताराम ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया है घर के पास में ही एक जगह पर मेरे और मेरे सगे भाई रामचरन आपसी आपसी बटवारा संबंधी जमीनी विवाद चल रहा था,जिसका मुकदमा वह न्यायालय से दिनांक 5 सितंबर 2022 को जीत गए हैं। इसके बावजूद भी मुकदमा में हारा मेरा भाई रामचरण मेरी जगह पर निर्माण कार्य नहीं होने दे रहा है।लगभग 10 दिन पूर्व मेरी जगह में निर्माण कार्य चल रहा था तो मेरे भाई रामचरन ने उपजिलाधिकारी सदर से शिकायत की जिस पर एसडीएम सदर देवेंद्र सिंह के द्वारा मेरे निर्माणाधीन कार्य को रुकवाते हुए मौके की जांच कानूनगो के द्वारा जांच कराई गई थी,जांच में हम सही पाए गए जिस पर एसडीएम सदर देवेंद्र सिंह के द्वारा एसएचओ जहानाबाद अशोक पाल के लिए हमारे पक्ष में न्यायालय के आदेश का अनुपालन कराने के निर्देश दिए गए।पीड़ित दाताराम ने आगे बताया है आज सुबह जब हमने अपनी जगह में निर्माण कार्य शुरू किया तो मेरा भाई राम चरन और उसके घर की महिलाए लाठी डंडा लेकर मौके पर आ गए और मिस्त्री मजदूरों के साथ भिड़ गए तथा बनाई जा रही दीवार को भी तोड़ने लगे।पीड़ित दाताराम ने मीडिया को आगे बताया है मेरे द्वारा डायल 112 पुलिस और थाना जहानाबाद पुलिस को सूचित किया गया जिस पर थाना जहानाबाद कस्बा इंचार्ज देवेंद्र सिंह राणा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे तो मेरा भाई रामचरन और मौके पर रामचरन के साथ आई महिलाएं गाली गलौज करने लगे।हलका इंचार्ज देवेंद्र सिंह राणा ने रामचरन से जमीन से संबंधित कोई भी आदेश दिखाने के लिए कहा तो जमीन से संबंधित रामचरन कोई भी आदेश या कागजात नहीं दिखा सके जिस पर थाना जहानाबाद पुलिस के द्वारा दाताराम को निर्माण कार्य जारी रखने के लिए कहा गया।वही मीडिया को द्वितीय पक्ष रामचरन के अधिवक्ता रामानुज सैनी ने जानकारी दी है हमने एक मुकदमा हाईकोर्ट में एकपक्षीय मुकदमा के खिलाफ दर्ज कराया है और दूसरे पक्ष को इसके लिए 7 दिन तक की मोहलत देनी चाहिए थी।माननीय न्यायालय के आदेश की अवहेलना की गई है।