अध्यक्ष और सदस्य पद के दावेदारों ने शुरू की चरण वंदना

निकाय चुनाव की आहट होते ही अध्यक्ष पद के दम भरने वाले अचानक से एक बार फिर पैदा हो गए हैं और पूर्व में जीत चुके अध्यक्षों की गलतियां गिनाने के मामले मानो इन्होंने पीएचडी कर रखी होती हैं नुक्कड़ की पान पुड़िया की दुकाने और चाय के होटल जहां कहीं भी देखो वह सक्रिय हो जाते हैं जैसे ही निवर्तमान अध्यक्ष को यह सभी जानकारी होती हैं वह भी अपने द्वारा कराए गए विकास कार्यों को गिनाने के लिए अगल बगल के मोहल्ले से भी मठाधीश टाइप के लोगों को बुलाकर अपना गुणगान करवाना चालू कर देता हैं।अभी हाल में ही होली के पहले जैसे ही सुगबुगाहट हुई की निकाय चुनाव किसी भी समय हो सकते हैं क्षेत्र मे मानो इंसानियत के देवताओं की बाढ़ सी आ गई हो अब जिधर देखो उधर भंडारे जहां देखो वही बधाई की होर्डिंग दिखाई देने लगी है लोग तो यहां तक कहने लगे हैं कि गरीब की थाली में पुलाव आ गया है ऐसा लगता हैं कि चुनाव आ गया है लेकिन जैसे ही पता चला कि मामला आरक्षण को लेकर कोर्ट में चला गया है जो होर्डिंग लग भी चुकी थीं उतर गई जहां कहीं भी भंडारे चल रहे थे बन्द हो गए।अभी हाल में ही जैसे सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निकाय चुनाव जल्द कराने के निर्देश दिए अचानक फिर से यह सभी चाय के होटलों और नुक्कड़ों पर नजर आने लगे हैं और साथ ही साथ जो मतदाता है उनकी चरण वंदना करने का भी काम आरम्भ कर दिया है प्रत्याशी हर तरह से चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं.!

दर्जनों लखेरे लेकर करवा रहे गुणगान.

होली के बाद से ही ज्यादातर वह अध्यक्ष प्रत्याशी नजर आने लगे हैं जिन्हे पहली बार चुनाव लड़ना है अपने पीछे आधा से एक दर्जन उन लखेरों को लगा लेते हैं जिनके पास कोई काम धाम नही है यह सभी एक चाय पान बीड़ी सिगरेट के लिए दिनभर अध्यक्ष का दम भरने वाले प्रत्याशी के पीछे उनकी हां मे हां मिलाने के लिए लगे रहते हैं जहां पर महफिल सज गई वही पर प्रत्याशी का गुणगान करना आरम्भ कर देते हैं.!