श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन

इटियाथोक,गोंडा।ब्लॉक क्षेत्र के गांव चुरिहार पुर में श्रीमद्भागवत साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ में अयोध्या से पधारे डॉक्टर महीधर शुक्ल द्वारा संगीतमय कथा सुनाई जा रही है।पांचवे दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया।कथावाचक श्री शुक्ल ने श्रोताओं से कहा,कि व्यक्ति को हमेशा धर्म के मार्ग पर चलकर समाज सेवा में आगे आना चाहिए।उन्होंने बताया कि लीला और क्रिया में अंतर होती है।अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है।इसे ना तो कर्तव्य का अभिमान है और ना ही सुखी रहने की इच्छा,बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने यही लीला की, जिससे समस्त गोकुल वासी सुखी और संपन्न थे। उन्होंने कहा कि माखन चोरी करने का आशय मन की चोरी से है।कन्हैया ने भक्तों के मन की चोरी की। उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया।कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म लेने पर कंस उनकी मृत्यु के लिए राज्य की सबसे बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है।पूतना भेष बदलकर भगवान कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है,परंतु भगवान उसका वध कर देते हैं। मुख्य यजमान उमाशंकर द्विवेदी, कुसुम द्विवेदी समेत श्रद्धालु मौजूद रहे।