खोह जलाशय निर्माण के नाम पर सरकारी धन से लूट..!

ग्रामीणों को अभी तक नहीं मिला मुआवजा, जलाशय बनकर तैयार

जनहित के लिए किए जा रहे विकास कार्यों में सरकारी धन के विनाश का जीता जागता प्रमाण खोह जलाशय है। खोह जलाशय न महज जल संसाधन विभाग के इंजीनियर के काले कमाई का जरिया बना, बल्कि सूबे के मुख्यमंत्री के विकास के अरमानों पर भी कुठाराघात किया गया।

उमरिया। जिले में जल संसाधन विभाग और उसके कारनामों की जितने भ्रष्टाचार की गाथाएं उकेरी जाए मसलन वह भी कम पड़ सकती हैं। जलाशय निर्माण के नाम पर जिस तरह से सरकारी खजानों की राशि को पानी की तरह बहाया गया, उससे जिम्मेदार भी अछूते नहीं हैं, और यही वजह है, कि भ्रष्टाचार का आशय खोह जलाशय की गुणवत्ताहीन कार्यों पर कोई कार्यवाही होना तो दूर मामला में किसी तरह की प्रशासनिक दखलंदाजी नहीं दिख रही। व्यापक पैमाने पर इंजीनियर के मास्टरमांइड की भेंट चढ़ी खोह जलाशय अपने अजब नमूने का एक पर्याय बन गया है। इस जलाशय को देखने वाले जहां एक ओर इंजीनियर के डिजाइन और कार्यों की खिल्ली उड़ा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर इसके नाम पर सरकारी धन में लूट को लेकर चर्चा की बयार बहाए हुए हैं।

यह है मामला -

करकेली जनपद अंतर्गत आने वाले पंचायत कल्दा के खोह में बिनौदा नदी पर जलाशय का निर्माण कार्य तक़रीबन 4 वर्ष पूर्व जल संसाधन विभाग उमरिया के द्वारा कराया गया। तकरीबन 21 करोड़ रुपये की लागत से बने इस जलाशय के उपयंत्री बी एम पयासी के देख-रेख में सम्पन्न हुआ। जबकि इस कार्य को पूरा करने वाली ठेका कम्पनी एसएससी फर्म ने किया। लेकिन यह जलाशय अपने निर्माण के पहली बरसात में का पानी रोकने की बजाय यह जलाशय ही बह गया। यही नहीं आज दिनांक तक इसके पानी का रिसाव ज्यों का त्यों हो रहा है।

घोटालों के सरताज उपयंत्री की करतूत में पर्दा -

खोह जलाशय की कम भराव क्षमता है, लेकिन अधिक पानी आ जाने की वजह से पानी की धार पत्थरों के नीचे से बहने लगी। आनन-फानन में वेस्ट वेयर होने के बावजूद दूसरी ओर से एक और कटान अत्याधिक पानी होने के कारण काटकर निकाला गया। जिसे आज दिनांक तक ज्यों का त्यों छोड़ दिया गया, ग्रामीणों के अनुसार वहां की मिट्टी भी झरने लगी है। उपयंत्री बीएम पयासी के उक्त करतूतों पर विभाग के जिम्मेदारों ने पर्दा डाल घोटालों को संरक्षण देने का प्रयास किया जा रहा है।

खोह बनी बिनौदा की उदगम स्थली! -

जिस तरह से जलाशय निर्माण हुआ और उसमें अनियमितताओं का मकड़जाल फैला है, उसमें एक बड़े घोटाले की बू आ रही है। वेस्ट वेयर से लेकर जल निकासी के लिए बने नहर तक का नजारा देखने पर प्रतीत होता है, कि उपयंत्री षड्यंत्र पूर्वक भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया। यही नहीं सूत्रों के मुताबिक जिस एसएससी फर्म को यह ठेका मिला उसका फायनेंसर उपयंत्री बी एम पयासी है। मजे की बात तो यह है जिस तरह खोह जलाशय के हालात हैं, उससे लगती है कि यदि राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में यह प्रश्न पूंछा जाए कि बिनौदा नदी का उद्गम स्थल कहां है तो छात्र इसका उत्तर खोह जलाशय ही देंगे।

डाउन स्ट्रीम की बह गई थी मिट्टी -

वर्ष 2021 में निर्माण पूर्ण होने की पहली बारिश में खोह जलाशय के डाउन स्ट्रीम की मिट्टी बह गई। यही नहीं इसकी जानकारी जैसे ही तत्कालीन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को लगी वे मौका स्थल पर पहुंच जलाशय के खस्ता हालत और गुणवत्ता की जांच के लिए विभाग के अधिकारियों को निर्देशित भी किया था। लेकिन उपयंत्री के रसूख के आगे कलेक्टर के निर्देश को वरिष्ठ अधिकारियों ने दफ़न कर दिया। आज तक खोह जलाशय के भ्रष्टाचार की जांच पर आंच नहीं आई।

मुआवजा की राशि भी अधर में -

खोह जलाशय निर्माण में जिन काश्तकारों की भूमि अधिग्रहण की गई, उन काश्तकारों का आरोप है कि उन्हें इसका मुआवजा भी अभी तक नहीं मिला। 21 करोड़ के इस परियोजना में उपयंत्री समेत जल संसाधन विभाग के जिम्मेदारों ने तो अपनीं जेबें भरीं, लेकिन खेती से जीविकोपार्जन चलाने वाले काश्तकारों को दर भटकने के लिए मजबूर भी किया। पीड़ित काश्तकारों का कहना है कि उनके भूमि का मुआवजा अभी तक नहीं मिला, जबकि आदिवासी किसान इसकी गुहार कई बार लगा चुके हैं।

इन्होंने कहा -

  • मैं अभी विकास यात्रा में हूँ, आप मिलिएगा उसमें बैठकर बात करुंगा। - बी.एम. पयासी, उपयंत्री, जल संसाधन विभाग उमरिया
  • अक्टूबर में जॉइन किया हूँ, आपके द्वारा दी गई जानकारी संज्ञान में ली गई है, अनुविभागीय अधिकारी से चर्चा कर इंस्पेक्शन के बाद ही अवगत कराऊंगा। - एस.के. सिंह, ईई, जल संसाधन उमरिया