जंगल चौकी के निर्माण में चला जंगलराज

वनरक्षक नाका अखड़ार नव निर्माण वर्ष 2019-20 का मामला

उमरिया। जिले के ग्राम अखड़ार में वनरक्षक नाका निर्माण कार्य में व्यापक पैमाने पर हुआ भ्रष्टाचार सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी से उजागर हुआ है। वर्ष 2019-20 में वन मंडलाधिकारी वन मंडल उमरिया ने कैम्पा मद से परिक्षेत्र के अंतर्गत वनरक्षक आवास निर्माण हेतु 10 लाख की राशि स्वीकृत की थी। इस राशि का उपयोग तत्कालीन रेंजर बी के सनाढ्य व तत्कालीन प्रभारी रेंजर हरीश तिवारी ने वनरक्षक आवास के निर्माण में कम अपितु अनाप-शनाप फर्जी बिल लगाकर अपनी जेब भरने में अधिक किया है।

घोटाले पर पड़े पर्दे की आरटीआई से मिली जानकारी -

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेजों से स्पष्ट होता है, कि भुगतान प्रक्रिया में कार्यालय नियम कायदों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। बिना बिल के ही हरि ओम ट्रेडर्स से 325 बोरी सीमेंट एवं 1893 किलोग्राम लोहे की खरीदी की गई है, जिसका बिल संलग्न नहीं है। बिना बिल के ही हरिओम ट्रेडर्स उमरिया को ₹138462 का भुगतान कर दिया गया है। दीपक छत्तवानी निवासी सिंधी कॉलोनी उमरिया को 31962 नग ईंट का ₹143829 भुगतान किया गया है, इस भुगतान का बिल भी संलग्न नही है। दीपक छत्तवानी को बिना बिल के 39.237 घन मी0 के लिए ₹37079 का भुगतान किया गया है। परिहार ट्रेडर्स शहडोल को बिना बिल के 20 मिमी. गिट्टी मात्रा 21.678 घन मी. के लिए ₹24690 का भुगतान किया है। महाकालेश्वर इलेक्ट्रिकल्स ट्रेडिंग एवं स्टील वर्क्स पन्ना को गिट्टी एवं मुरूम हेतु बिना बिल के क्रमशः 10875 व 10309 रुपये की राशि का भुगतान किया गया है। अली ब्रदर्स इलेक्ट्रिक वर्क्स उमरिया को बिना बिल के 6500 व 28070 रुपये का भुगतान किया गया है। इस फर्म को क्रय आदेश किस आधार पर जारी किया गया है, इसका कोई उल्लेख नहीं है।

न आधार और न बिल हो गए लाखों के भुगतान! -

महाकालेश्वर इलेक्ट्रिकल वर्क्स पन्ना का रेट न्यूनतम होने के बाद भी अग्रवाल सेनेटरी वेयर्स कटनी से अधिक दरों पर टाइल्स, पानी की टंकी समेत अन्य सामग्री खरीदी गई, जिसके लिए 43190 रुपये की राशि का भुगतान किया गया। अग्रवाल सेनेटरी वेयर्स से दोबारा पानी सप्लाई हेतु फिटिंग सामग्री क्रय करने के लिए 12296 रुपये का भुगतान किया गया है, जिसका बिल संलग्न नहीं है। गुरु ग्रेनाइट कटनी को ग्रेनाइट स्लैब हेतु बिना बिल संलग्न किए 4313 रुपये का भुगतान किया गया है, साथ ही क्रय आदेश के आधार का भी कोई उल्लेख नहीं है। महादेव ट्रेडर्स ग्राम अखडार को खिड़की जाली हेतु 17199 रुपये का भुगतान किया गया है, भुगतान संबंधी दस्तावेजों में क्रय का आधार नहीं बताया गया है तथा बिल संलग्न नहीं है।

मजदूर और तराई के नाम पर डकार गए राशि -

जमुना राय व एक अन्य को कुल 34272 रुपये की राशि तराई के नाम पर भुगतान की गई है, जबकि ईंटों की जुड़ाई तथा क्रांकीट की ढलाई में तराई की राशि जुड़ी होती है। स्पष्ट है अतिरिक्त भुगतान दर्शाकर रकम हजम कर ली गई। मजदूरी की दर भी अधिक दर्शाई गई है। अम्बा ट्रेडर्स उमरिया को 34474 रुपये की राशि का भुगतान किया गया है। जबकि क्रय आदेश, क्रय का आधार तथा बिल संलग्न लग नहीं है। अम्बा ट्रेडर्स को कब्जा, हैंडिल इत्यादि के लिए भुगतान किया गया है, जबकि नियमतः कब्जा, हैंडिल की राशि दरवाजे के पल्ले व चौखट की राशि में जुड़ी होती है।

जहां-जहां बना जुगाड़ वहां-वहां विभाग को चपत -

मेजरमेंट बुक के पेज नंबर 38 में फर्श पर नीट सीमेंट कोटिंग व फ्लोरिंग किया जाना दर्शाया गया है, जबकि पेज नंबर 45 मैं फर्श पर टाइल्स लगाया जाना दर्शाया गया है। विदित हो कि नीट सीमेंट कोटिंग के बाद टाइल्स नहीं लगाई जाती है। स्पष्ट है नीट सीमेंट कोटिंग व फ्लोरिंग की राशि खुर्द बुर्द कर ली गई। दीवाल तथा कालम के एरिया को फ़र्श से नहीं हटाया गया है। इस प्रकार फ़र्श निर्माण में अधिक राशि का भुगतान किया गया है। यही नहीं दिनांक 22/08/2019 को खोली गई निविदा में दीपक कुमार छत्तवानी को फ्लाई एश ईंट के लिए न्यूनतम बोली 4.50 रु० प्रति ईंट स्वीकृत की गई थी, निविदा के विपरीत वन विभाग उमरिया के अधिकारियों ने स्वेच्छाचारिता अपनाते हुए 31962 नग मिट्टी के ईंटों की आपूर्ति के लिए 143829 रु. का भुगतान किया।

मेजरमेंट के मेजर में घिरे जिम्मेदार -

फ्लोरिंग की मात्रा में कालम एवं दीवार की मात्रा को नहीं घटाया गया है जिससे कालम एवं दीवार की मात्रा ओव्हरलैप हो गई है तथा कुल कांक्रीटिंग जो कि 2.997 घन मी. होनी चाहिए वह मेजरमेंट बुक में 9.123 धन मी० दर्ज है, जिसके कारण 21447 रुपये का भुगतान हुआ। इसी प्रकार एमबी के पेज नं. 33 में ईंटों के जुड़ाई कार्य में कालमों की मात्रा नहीं घटाई गई है जिससे 11106 रूपये की राशि का अधिक भुगतान हुआ है। इसी प्रकार बीम एट प्लिन्थ लेवल में कालम की मात्रा नहीं घटाई गई है, जिससे 11977 रुपये की राशि का अधिक भुगतान हुआ। मेजरमेंट बुक के पेज नं0 34 में ईंटों की जुड़ाई में कालमों की मात्रा नहीं घटाई गई है, जिससे 8527 रुपये का अधिक भुगतान हुआ। सेप्टिक टैंक की दीवारों तथा स्लैब की माप एम.बी. में दर्ज नहीं है जिसमे मटेरियल की वास्तविक मात्रा का पता लगाया जाना संभव नहीं है। इसी प्रकार छत का प्लास्टर 8 मिमी. का होता है, जबकि मेजरमेंट बुक में 15 मिमी. का प्लास्टर दर्ज किया गया है। स्टील कहाँ पर कितना लगाया गया है इसकी कोई माप दर्ज नहीं है केवल भुगतान किया गया है। कुल 1893 किग्रा० लोहे की खरीद होना दर्शाया गया है, लेकिन मेजरमेंट बुक में कुल 4.30 किग्रा. लोहे के उपयोग का ही उल्लेख है। शेष लोहा कहां गया यह प्रश्न का विषय है। इसी प्रकार मुरुम की माप एम.बी. में दर्ज नहीं है।

काम की आड़ में मुरुम निगल गए जिम्मेदार -

मुरुम कहाँ उपयोग की गई इस बात का कोई जिक्र नहीं है। उपरोक्त कार्य में तकनीकी प्रतिवेदन एवं प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं है, कि तकनीकी स्वीकृति किस तकनीकी अधिकारी के द्वारा दी गई है। ना ही प्रशासकीय अधिकारी को तकनीकी स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार प्रदान किए जाने संबंधी किसी आदेश या दिशा निर्देश का जिक्र है। इस्टीमेट तथा मेजरमेंट बुक को किस इंजीनियर के द्वारा प्रमाणित किया गया है, इसका कोई उल्लेख नहीं है। साथ ही मेजरमेंट बुक में इंजीनियर के हस्ताक्षर नहीं है। इंजीनियर के हस्ताक्षर के बिना नियमत: मेजरमेंट बुक वैधानिक तथा मान्य नहीं मानी जाती है तथा इस मेजरमेंट बुक के आधार पर किए गए भुगतान आर्थिक अपराध की श्रेणी में आते हैं। निर्माण कार्य से संबंधित भुगतान प्रमाणक नियमानुसार निर्माण कार्य जिस इंजीनियर की देखरेख में होता है, उस इंजीनियर के द्वारा तैयार किए जाने चाहिए, इसके विपरीत भुगतान प्रमाणक तत्कालीन प्रभारी रेंजर हरीश तिवारी के द्वारा तैयार किए गए।

जंगल विभाग में सब पर भारी!हरीश तिवारी -

स्पष्ट है वनरक्षक आवास निर्माण कार्य में, रेजर बी.के. सुनादय तथा प्रभारी रेंजर हरीश तिवारी नें जमकर सरकारी पैसों की होली खेली है। इस कृत्य में इन रेंजर द्वय को वनमंडलाधिकारी का खुला संरक्षण प्राप्त है, क्योंकि भारतीय वन सेवा का अधिकारी इतनी समझ तो रखता है, कि इंजीनियर के हस्ताक्षर के बिना मेजरमेंट बुक मान्य नहीं होती है तथा इस मेजरमेंट बुक के आधार पर किए गए भुगतान पूर्णत: अवैधानिक होते हैं। वनरक्षक आवास निर्माण कार्य में वन मंडलाधिकारी के वरदहस्त तले कैम्पा मद से हुए इस निर्माण कार्य में फर्जी बिलिंग तथा अनाप-शनाप सामग्रियों की मात्रा दर्शाकर हरीश तिवारी ने व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है। हरीश तिवारी सबसे यह कहते फिर रहे हैं, कि मुझे डीएफओ का आशीर्वाद प्राप्त है, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त करे जांच तो नपेंगे कई भ्रष्टाचारी :

कैम्पा मद की राशि वन विभाग के अधिकारियों के लिए- जेब भरने का जरिया बन गई है। यदि उक्त निर्माण कार्य व कैम्पा मद से कराए गए सभी निर्माण कार्यों की जांच ई.ओ.डब्ल्यू. या लोकायुक्त जैसी संस्थाओं से कराई जाए, तो कैम्पा मद के तहत कराए गए निर्माण कार्यों में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है, तथा हरीश तिवारी जैसे अनेक भ्रष्ट अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध हो सकता है।