भू माफियाओं के नतमस्तक तहसील प्रशासन,किसान परेशान,न्याय के लिए धनबल,बाहुबल को प्राथमिकता

रायबरेली।जमीनी विवाद में आज भी लोगों की उम्र बीत जाती है,किंतु मामले का हल नहीं निकल पाता है।ऐसा ही मामला ऊंचाहार तहसील क्षेत्र के बरसंवा मजरे कंदरावा का है।जहां पर पीड़ित मनोज कुमार पुत्र छेदी लाल गांव निवासी ने बताया कि जमीन गाटा संख्या 4021,4022,4023 पर गांव के दबंग भूमाफिया का तहसील प्रशासन व लेखपाल कानूनगो के मिलीभगत भ्रष्टाचार होने के कारण धारा 41 के मुकदमे में 12 साल से बेवजह से पीड़ित को परेशान किया जा रहा है।पीड़ित को तहसील और कमिस्नरी कोर्ट कचहरी के चक्कर लगवा रहे हैं।हल्का लेखपाल अधिकारियों और शासन प्रशासन को अपनी रिपोर्ट में लीपापोती करके भूमाफिया को कानूनी कार्यवाही से बचा कर भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाया जा रहा है।पीड़ित गरीब अधिकारियों की चौखट पर दौड़ते दौड़ते मर जाता है,किंतु न्याय नहीं मिल पाता है।न्याय रोता है, अन्याय हंसता है।जबकि प्रदेश के मुखिया आए दिन नित नए फरमान जारी करते है,लेकिन गरीब किसानो की भूमि को भू माफियाओं के कब्जे से मुक्त कराने में अधिकारियों के पसीने छूटते है।ऐसे गरीब लाचार किसान किसकी शरण में जाए, जहां पर उसे न्याय मिल सके,अपने मालिकाना जमीन में हल रख सके।क्योंकि वर्तमान के दावे सिर्फ हवा हवाई ही साबित हो रहे है।क्या न्याय के लिए भी धनबल और बाहुबल होना अति आवश्यक हो गया?