कुरुद क्षेत्र में धड़ल्ले से खुलेआम चल रहा सट्टा...

कुरूद:-पुलिस छोटे-मोटे सट्टे की खाईवाली करने व सट्टा लिखने वाले सटोरियों को पकड़कर 2-4 हजार रुपये वसूल कर लेती है और अपने आप में गर्व महसूस करती हैं, परंतु बड़े सटोरियों पर मानो पुलिस मेहरबान है उन पर कार्यवाही करना पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं है।

एक अदने से कर्मचारी से लेकर बड़े अफसर तक लाखों रुपए बटना सामान्य सी बात हो चुकी है इसे लेकर शहरवासी भी अब तो कहने लगे हैं की शायद पुलिस ने सटोरियों को मान्यता दे दी है या सट्टा खेलने के लाइसेंस दे रखें हैंं, जिससे बेखौफ होकर वह अपना सट्टा जोरो शोरों से शहर में चला रहे हैं जिन्हें किसी का भी भय नहीं है
और यदि सट्टा पुलिस की कमाई का जरिया है और इसे अपनी आय का साधन मानती है तो थाने केे गेट पर ही पुलिस को केश जमा काउंटर खुलवा लेेना चाहिए जिससे पुलिस को आमदनी दिन दुगनी रात चौगुनी ही होगी और कहीं भटकने की जरूरत भी नही पड़ेगी।

काहे का अपराध...?
सट्टा तो सिर्फ पुलिस का कमाई का जरिया है जो थाने तक ही सीमित रहता है और वहां पर लेनदेन कर प्रकरण को रफा-दफा कर दिया जाता है।

बताया जाता है है कि सट्टा खिलाने वाले की हमेशा पांचो उंगलियां घी में रहती है। उन्हें कभी नुकसान नही होता। अवैध तरीके से कमाए पेसो के बल बुतों पर अपने आलिशान महल तक इन्होंने खड़े कर रखे है जिनके पास महंगी से महंगी गाड़िया, लाखों के मोबाइल, सोने की घड़ी- ब्रेसलेट व गले मे मोटी सोने की चेन इनकी शोभा बढाती रहती है और हर ऊंचा शोक (अय्याशी) भी इनकी जेब में होती है।

क्षेत्र में खुलेआम चल रहा सट्टा

क्षेत्र की बात करें तो यहां पर बेरोकटोक सट्टे का अवैध कारोबार चल रहा है जिसे देखने और सुनने वाला कोई नहीं है,सट्टे के इस कारोबार में जहां एक तरफ सटोरिया मालामाल हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कई घर बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस मानो कान में तेल डाल कर बैठी हो और वह सटोरियों पर मेहरबान नजर आ रही है। इस के साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले के साथ अवैध सट्टे का कारोबार जारी है। आमजन एक के 90 बनाने के चक्कर में बर्बाद होते जा रहे हैं,अधिक कमाने की चाह और लालच में इन सटोरियों ने अपना नेटवर्क कुरूद के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकसित कर लिया है,कुरूद से लगे छाती,चर्रा,नारी,कोकड़ी खैरा, भखारा तक अपना जाल फैला रखा है और रोज नित नए स्थान से अपने व अपने गुर्गो के माध्यम से खाईवाली का कार्य करते है।

स्थानीय लोग परेशान

सट्टा व जुआ के कारोबार के चलते आस-पास के लोग काफी परेशान है| दबी जुबान से सिर्फ यही कहते है जब पुलिस विभाग की मिलीभगत से ही यह कार्य हो रहे हैं, जब पुलिस ही मिली हुई हैं तो क्या कहा जा सकता है।

पुलिस सटोरियों पर लगाम लगाने में नाकाम

सट्टा व जुआ के गोरखधंधे में पुलिस इन सट्टोरियों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही है। जिस वजह से क्षेत्र में सट्टा खेलने का गोरखधंधा दिनों दिन फूल-फल रहा।