बहराइच:कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा के द्वारा मिहींपुरवा के परवानी गौढी में प्रक्षेत्र दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया

बहराइच मिहींपुरवा कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा के द्वारा मिहींपुरवा तहसील क्षेत्र के ग्राम परवानी गौड़ी में प्रक्षेत्र दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया । प्रगतिशील किसान शिव शंकर सिंह के खेत में काला नमक धान की प्रजातियां काला नमक -150, काला नमक -160, काला नमक पूसा 03, काला नमक - पूसा 07, काला नमक - पूसा 1638 लगाई गयी थी । कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. के.एम.सिंह द्वारा की गई । उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती द्वारा काला नमक धान की विभिन्न प्रजातियां एवं काला नमक धान की विशेषताओं के बारे में व गुण के बारे में बताया गया । उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए डा. के. एम सिंह ने बताया कि काला नमक धान गो आधारित प्राकृतिक खेती जरिए ही उगाया गया है । यह धान की विशेष किस्म कम उर्वरकों, फफूंद नाशी और जैविक कीटनाशकों की मदद से उगाया जाता है । यह धान प्राचीन काल से जैविक खेती के लिए पूरी तरह अति प्राचीन किस्म है । काला नमक धान में एक और विशेषता यह है कि इसमें भूरे धब्बे वाले रोग की शिकायत नहीं मिलती जो धान की दूसरी फसलों में कभी-कभी किसानों के लिए बड़ा सरदर्द बन जाती हैं । काला नमक धान सामान्य धान के मुकाबले 20 से 25 दिन की देरी से तैयार होता है । लेकिन दाम और स्वाद सुगंध के मामले में यह बासमती को भी पछाड़ देता है । उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय बाजार में बासमती लगभग 70 रूपए प्रति किलो के रेट पर होता है जबकि काला नमक का दाम 100 से 150 रूपए प्रति किलो के स्तर पर से बिकता है । आई.ए.आर.आई. के निदेशक डॉक्टर ए. के. सिंह द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों के बारे में जाना तथा केंद्र के कार्यों की सराहना की । उन्होंने यह भी बताया कि काला नमक की बौनी, देसी तथा सुगंधित प्रजातियों पर विशेष जोर दिया । उन्होंने भविष्य में केंद्र पर विभिन्न प्रकार के काला नमक धान की प्रजातियां पर कार्य योजना चलाई जायेगी । जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान लाभान्वित हो सकेगें। केंद्र की वैज्ञानिक रेनु आर्या ने काला नमक धान के पौष्टिक गुणों के बारे में अवगत कराया । उन्होंने बताया कि इस चावल में एंटीऑक्सीडेंट, आयरन और जिंक भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं । जिससे इसे ब्लड प्रेशर तथा खून संबंधित समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है । डॉ. हर्षिता ने बताया कि इस धान के पोषक तत्व से भरपूर होने के चलते विदेशों में इसकी मांग बढ़ गई है, जिससे कृषक बंधु अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं । डॉ अरुण कुमार ने काला नमक धान की विभिन्न प्रजातियां जैसे कि काला नमक -150, काला नमक -160, काला नमक पूसा 03, काला नमक - पूसा 07, काला नमक - पूसा 1638 आदि के बारे में विस्तृत चर्चा की । जिले के प्रगतिशील कृषक शिव शंकर सिंह द्वारा लगाई गई काला नमक की विभिन्न प्रकार की प्रजातियो का अवलोकन केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया । प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम में प्रगतिशील कृषक शिव शंकर सिंह, राम अधार सिंह, जनार्दन सिंह, राम प्रवेश मौर्य, मनीष सिंह आदि शामिल थे ।