पुलिस की सक्रियता के बाद भी गौमाँस तस्कर सक्रिय।दो जगह हुई गौकशी। अन्ना मवेशियों की जगह पालतू मवेशियों को बनाया जा रहा शिकार।

हसनगंज उन्नाव
कोतवाली क्षेत्र हसनगंज में दो अलग अलग स्थानों पर वृहस्पतिवार रात में गौमाँस तस्करो ने तीन पालतू गौवंशीय मवेशियों को शिकार बनाया और मवेशियों को काटकर उनका मांस उठा ले गए। सूचना पर पहुंचे कोतवाली प्रभारी निरीक्षक राजेश सिंह ने अवशेषों का सैम्पल लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। ज्ञात हो हसनगंज क्षेत्र गोकशी के लिए मुफीद है, माना जाता है कि आगरा एक्सप्रेसवे की सर्विस लाइन गौ मांस तस्करों के लिए सबसे मुफीद रास्ता है इसी से वह मलिहाबाद और लखनऊ तक गौमांस की तस्करी करते हैं। पहली घटना कोतवाली क्षेत्र के हल्का नंबर 4 में पिलखना रसीदपुर गांव की है जहां पर पिलखना रसीदपुर गांव के निवासी जगदेव पुत्र नंदू के दो बैल गांव से करीब 200 मीटर दूर नहर के किनारे बंधे हुए थे। बृहस्पतिवार रात को अज्ञात समय गौ मांस तस्करों ने बैलों को खोलकर अन्य जगह ले जाकर एक बैल का वध करके उसका मांस तथा दूसरे बैल को घटनास्थल पर ही बांधकर चले गए। दूसरी घटना हसनगंज कोतवाली क्षेत्र के ही ग्राम पंचायत चंदौली बुजुर्ग के मजरा गदनखेड़ा भिटवा की है यहां पर भी बाबूलाल पाल के दो बैल गांव से ही कुछ दूरी पर बँधे हुए थे। बृहस्पतिवार रात को ही किसी समय दोनों बैलों को गौमाँस तस्करों ने ले जाकर पूर्व प्रधान राजेश यादव के बाग में काट कर उनका मांस उठा ले गए। दोनों घटनाओं की सूचना मिलने पर तत्काल मौके पर पहुंचे कोतवाली प्रभारी राजेश सिंह ने अवशेषों का सैंपल लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। इस संबंध में क्षेत्राधिकारी राजकुमार शुक्ला ने बताया की दोनों घटनाओं की बारीकी से जांच की जा रही है, पुलिस द्वारा साक्ष्यों के आधार पर छापेमारी भी की जा रही है, जल्द ही घटनाओं का खुलासा कर दिया जाएगा।

अन्ना मवेशियों की अपेक्षा पालतू मवेशी गौ मांस तस्करों के लिए सुगम।

कुछ समय पहले गौ मांस तस्कर अन्ना मवेशियों को अपना शिकार बना रहे थे पहले वह अन्ना मवेशियों को कोई नशीली चीज खिला देते थे जिससे वह कुछ समय बाद बेहोश हो जाते थे। गौ मांस तस्कर उनके पैर बांधकर छोड़ कर चले जाते थे, मौका मिलते ही उनका वध कर देते थे, लेकिन कई बार अन्ना मवेशी सड़क के किनारे बेहोशी की हालत में पैर बंधे हुए मिलने के कारण पुलिस और ग्रामीणों की सतर्कता के चलते गौ मांस तस्करों के मंसूबों पर पानी फिरता नजर आया, जिससे उन्होंने अन्ना मवेशियों को छोड़कर गांव से बाहर बंधे हुए पालतू मवेशियों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है, क्योंकि पालतू मवेशी उनको बंधे हुए मिल जाते हैं। जिससे वह उनका आसानी से वध करके माँस की तस्करी करने में सफल हो जाते हैं।