राष्ट्रपति का ये अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान

कहो अधीर बात सत्य, क्या घर से खाकर आए थे।
बुद्धि हो गई भ्रष्ट तुम्हारी भांग चबाकर आए थे।
महामहिम को ना बख्शा सम्मान से उनके खेल गए।
मातृ शक्ति अपमान किया तुम अब तक भी ना जेल गए।
राजनीति में ओच्छी हरकत तुम कैसे कर जाते हो।
शायद ये सब संस्कार अपनी आका से पाते हो।
नारी की पूजा करना ये भारत का अभिमान है।
तेरी भी तो मां बहनों का होता बस सम्मान है।
अरे रंजन तुम खुद ही सोचो धरा पे किसके बूते हो।
मां तो जन्मे पूत मगर तुम तो निर्लज्ज कपूते हो।
राजनीति करनी होती तो यूं मनमानी ना करते।
राष्ट्र की प्रथम नागरिक से तो गलतबयानी ना करते।
राजनीति है ऐसी नीति देश के हित में होती है।
लेकिन ऐसी नीची हरकत बीज विषैले बोती है।
गलतबयानी राष्ट्रपति को देश नहीं सह पाएगा।
बिना दंड के खेल ये नीचा आगे बढ़ता जाएगा।
फिर से कोई ना भौंके ये इंतज़ाम करना होगा।
एकलव्य बन मुंह कुत्ते का बाणों से भरना होगा।
सबसे पहले संसद की सूची से इसे हटाओ तुम।
फिर कानूनी करो प्रक्रिया जेल इसे भिजवाओ तुम।
वरना इससे अभी बोल दो खुले मंच माफी मांगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जूती खुले गले टाँगे।
ओमपाल सिंह "विकट"।
धौलाना,हापुड़,उत्तरप्रदेश।