कच्ची गली में शोर है, रेंजर साहब रिश्वतखोर हैं।

रास्ते के मार्फ़त विश्वकर्मा जी से 80 के भाव मोती गुप्ता ने खरीदे..!

भू-स्वामी अपने लिए रास्ता बना रहा था, उस सड़क पर साहब चल दिये। मजे की बात उस रास्ते पर चलने का खर्च जेसीबी से भी महंगा हो उठा। मुनारे से बाहर के नाम पर 80 हजार में सौदा जेसीबी मालिक के खाते में गया, जिन कंधों में पेड़ बचाने की जिम्मेदारी है, वे कंधे विश्वकर्मा जी से 80 हजार के मोती पहन रहे हैं। राह बनाने वाले राय के खाते में गुप्ता जी ने विकास की रकम जमा करा ली। प्रकरण बना लेकिन कच्चा था, बारिश के मौसम में कागज गल गए। बाकी जो है, सो जंगल में हैं। (...उमरिया से विकाश शुक्ला)