भंडाफोड़ : फर्जी वेबसाइट बनाकर देश भर से ठग लिए करोड़ों रुपये, लोगों को चूना लगाने के लिए अपनाते थे यह टिप्स

आईजी डॉ. राकेश सिंह ने बताया कि शहर के दो कारोबारियों मो. सईद और सोनाली जायसवाल से ईजीडे फ्रेंचाइजी के नाम पर लाखों रुपये की ठगी की गई थी। इसकी शिकायत मिलने पर साइबर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की।

पुलिस उन नंबरों के जरिये ठगों की सुरागकशी में जुटी, जिनके जरिये दोनों व्यापारियों से बातचीत की गई थी। सर्विलांस व अन्य माध्यमों से मिली जानकारी के आधार पर ही नालंदा, बिहार निवासी विनय कुमार उर्फ अशोक सिंह उर्फ एसएसपी कोलकाता को शहर से पकड़ा गया।

वेबसाइट क्लोनिंग कर देश भर में कई लोगों से करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ शुक्रवार को पुलिस ने किया है। साइबर थाना पुलिस ने इसके तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह क्लोनिंग के जरिये फर्जी वेबसाइट बनाकर फ्रेंचाइजी देने व सरकारी योजनाओं के नाम पर लोगों को चूना लगाता था। शहर के भी दो व्यापारियों को लगभग 18 लाख रुपये की चपत लगाई थी।

सख्ती से पूछताछ में उसने न सिर्फ शहर के दोनों कारोबारियों से बल्कि देश भर में करोड़ों की ठगी की घटनाएं अंजाम देने की बात कबूल की। उससे मिली जानकारी के आधार पर ही उसके दो साथियों अभिषेक शर्मा निवासी रतलाम, मप्र और रत्नेश भारती निवासी नवादा बिहार को भी पकड़ा गया। तीनों से पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

ऐसे करते थे ठगी

  • गिरोह के सरगना विनय ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह और उसके साथी नामी-गिरामी कंपनियों की वेबसाइट की क्लोनिंग कर यह पूरा फर्जीवाड़ा अंजाम देते थे।
  • इसके लिए पहले वह कंपनी की मूल वेबसाइट जैसी हूबहू एक दूसरी वेबसाइट बना लेते हैं। किसी को शक न होे इसके लिए नाम भी मिलता-जुलता ही रखते हैं। सिर्फ डोमेन नेम में एक या दो अक्षर बदल देते हैं।
  • इसके बाद फ्रेंचाइजी देने के नाम पर इस फर्जी वेबसाइट पर विज्ञापन डालते हैं।
  • जैसे ही कोई व्यक्ति फ्रेंचाइजी के लिए आवेदन करता है तो कुछ दिनों बाद उसे वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट जारी कर भरोसे में ले लेते हैं।
  • फिर माल डिलीवरी के लिए एडवांस में भुगतान कराकर रकम हड़प कर जाते हैं। इसी तरह वह सरकारी योजनाओं से मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर भी फर्जीवाड़ा करते हैं।

बीटेक व बीसीए पास दो सदस्य बनाते थे वेबसाइट
पुलिस ने बताया कि पकड़े गए तीन सदस्यों में से दो बीटेक व बीसीए कर चुके हैं। रत्नेश ने जीआरटी भुवनेश्वर से बीटेक जबकि अभिषेक ने बीसीए की पढ़ाई की है। तीनों दिल्ली में एक कंपनी में काम करते थे। कारोना काल में कंपनी बंद होने पर वह घर से काम करने लगे और इसी दौरान फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया। रत्नेश ने ही बाद में अभिषेक को भी वेब पेज डेवलप करने का काम सिखा दिया।

दिल्ली से तेलंगाना तक, देश भर में की ठगी
पुलिस अफसरों ने बताया कि इस गिरोह के सदस्यों का लंबा चौड़ा आपराधिक इतिहास है। इसके सदस्यों ने प्रयागराज के साथ ही उप्र के कई जिलों के अलावा दिल्ली, तेलंगाना, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटका में भी ठगी की घटनाएं अंजाम दीं। इन सभी जगहों पर इनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं। साइबर थाना पुलिस ने बताया कि शहर के एक व्यापारी से लगभग 18 लाख की ठगी हुई थी। इनमें से 8.39 लाख रुपये पूर्व में ही वापस कराए जा चुके हैं जबकि आरोपियों के खातों में मौजूद लगभग 10 लाख रुपये की रकम फ्रीज कराई गई है।

यह हुई बरामदगी
दो वाई-फाई सेट, तीन लैपटॉप, 10 मोबाइल, एक पासपोर्ट, छह चेकबुक, चार पासबुक, 26 एटीएम कार्ड व अन्य सामान

👇 फर्जी वेबसाइट से बनाए जा रहे जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, अब होगी कानूनी कार्रवाई.

रांची:राजधानी में फर्जी वेबसाइट के सहारे जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं. ये वेबसाइट भारत सरकार के ऑफिशियल वेबसाइट की इस प्रकार कॉपी की गई है कि कोई भी एक नजर में धोका खा जाए. वहीं, आम तौर पर लोग अपने बच्चों के एडमिशन को लेकर चाहते हैं किसी तरह जल्द से जल्द सर्टिफिकेट बन जाए. इसी का फायदा दलाल व कई कैफे संचालक उठा रहे हैं. बीते दिनों 11 मई को योजना एवं विकास विभाग (अर्थ एवं संख्यिकी निदेशालय) की ओर से कराई गई जांच में इसका खुलासा हुआ. इस मामले में निदेशक-सह अपर मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) अंजनी कुमार ने रांची डीसी सह जिला रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि अवैध पोर्टल से बनाया जा रहा प्रमाण पत्र का कार्य अवैध है. ऐसे में सुसंगत प्रावधानों के तहत कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए इसकी सूचना भी डीसी से मांगी गई है.

स्कैन करते ही पूरा डिटेल दिखने से लोग खा रहे धोका

यह है केंद्र सरकार का अधिकृत पोर्टल crsorgi.gov.in मगर इन दिनों crsorgigov.com और crsgov.com जैसे फर्जी वेबसाइट से प्रमाण पत्र बनाया जा रहा है. फर्जी प्रमाण पत्र में भी ऑरिजनल प्रमाण पत्र की तरह क्यूआर कोड व बार कोड दिया जा रहा है. उसके स्कैन करने पर फर्जी वेबसाइट में पूरा डिटेल फौरन दिखने लगता है. जिसके कारण लोग धोका खा जा रहे हैं.

पांच सदस्यीय टीम ने की थी छापेमारी

राजधानी के कांटाटोली स्थित मंगल टावर के पीछे इस्टेट प्लाजा में फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने की सूचना मिलने पर योजना एवं विकास विभाग के अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय ने रांची जिला सांख्यिकी पदाधिकारी विमल कुमार के नेतृत्व में पांच पदाधिकारियों की जांच टीम बनाई थी. जिसमें निदेशालय के सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी मृगेंद्र कुमार, रांची सांख्यिकी कार्यालय के सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी निर्मल सिंह बानरा, निदेशालय के सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी श्रवण कुमार और कनीय सांख्यिकी पदाधिकारी शशिभूषण चौधरी शामिल थे. जांच टीम ने इस्टेट प्लाजा के साथ मंगलटावर में संचालित कैफे में भी जांच की. इस दौरान टीम ने फर्जी प्रमाण पत्र को जब्त भी किया. जिसके बाद इसकी रिपोर्ट निदेशालय को सौंपी गई.