पानी पाउच की जगह बीमारी तो नही खरीद रहे हैं???

कुरूद/धमतरी:-गर्मियों के मौसम शुरू होते ही लोगो को ज्यादा से ज्यादा पानी की जरूरत महसूस होती,प्यास बुझाने हम झट से पानी पाउच,पानी बॉटल खरीद लेते है पर आपको जानकारी मिले की यह पानी नही बीमारी है तो आप क्या सोचेंगे।

पैसे देकर भी खरीद रहे बीमारी

आज बात कर रहे है पानी की जी हाँ वही पानी जो हम प्यास बुझाने के लिए दुकानों से बॉटल,पाउच में खरीद कर पीते हैं, पर जब आपको पता चले कि आप पैसे देकर जो पानी खरीद रहे हैं वह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तो आपके पैरों तले जमीन खिसकती नजर आएगी,पैसे देकर भी आप बीमारियों को निमंत्रण दे रहे हैं।

धमतरी जिले के अंतर्गत कई मिनरल वाटर की फैक्ट्रियां संचालित है जो धमतरी जिले के साथ आसपास के जिलों में भी पानी बॉटल और पानी पाउच की सप्लाई करते हैं।

जिनमे से कई कम्पनियों के पानी पाऊच बॉटल में न ही बैच नम्बर का न ही एक्सपायरी डेट का उल्लेख होता है।

प्यास लगने पर हम बिना देखे ही पानी पाउच पानी बॉटल लेकर अपनी प्यास बुझा लेते हैं जो कि हमारे पैसो के साथ हमारे स्वास्थ्य का भी नुकसान करते हैं,स्वास्थ्य विभाग, फूड विभाग भी इस विषय पर आंखे मूंदे प्रतीत होता है।

फैक्ट्री की जगह दुकानों से लेते है सैंपल

पैक पानी के इस अवैध करोबार को हवा देने में सबसे बड़ा योगदान या फिर सहयोग खाद्य औषधी विभाग के अधिकारियों का ही है। क्योंकि जब भी अमानक पैक पानी की कोई शिकायत या अखबार में खबरें प्रकाशित होती हैं तो अधिकारी शहर की कुछ दुकानों से पानी पाउच के सैंपल लेते हैं और उन्हें जांच के लिए भेजकर अपनी नौकरी पूरी समझ लेते हैं, लेकिन यह अधिकारी कभी उस फैक्ट्री की जांच करने नहीं पहुंचते हैं, जहां से इस कारोबार का संचालन किया जा रहा है यानी पानी की पैकिंग की जा रही है।

यह भी हैं कुछ महत्वपूर्ण पहलू

आरओ प्लांट स्टील का होना चाहिए।
पानी का पीएच लेवल 7 से 7.5 होना चाहिए।
पानी की पैकिंग वाला प्लांट एेसा हो जहां वैक्टीरिया न पनप सके।
बिना आइएसआइ सर्टिफिकेशन के पाउच पर ड्रिंकिंग वाटर नहीं लिख सकते।
जिस पन्नी में पानी पैक किया जाएगा वह 60-65 माइक्रोन से ज्यादा की होनी चाहिए।
पाउच का पानी एक माह में एक्सपायर हो जाता है, इस पर कंपनी को पैकिंग की तारीख डालनी होती है।

लगातार इस्तेमाल से हो सकता है कैंसर ?

लोगो के स्वास्थ्य के प्रति विभाग भी लापरवाह नजर आता है ,बाजारों में जो पानी आता है उसका कोई मानक निर्धारित नहीं होता है कि कैसे उसकी पैकिंग की गई है इतना ही नहीं उसमें पानी की एक्सपायरी डेट भी नहीं होती है जिससे कि ये पता नहीं चल पाता है कि ये पानी कितने दिनों तक पीने के योग्य है। इसको पीने से इसके बहुत से साइडइफेक्ट्स शरीर में हो सकते हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि पानी के पाउच पैकिंग करने के बाद बोरी में भरकर ऐसे ही खुले में डाल दिया जाता है, धूप लगने की वजह से पानी गरम हो जाता है। जिसकी वजह से प्लास्टिक के जो कैमिकल्स होते हैं वो पानी की डेंसिटी (घनत्व) बढ़ा देते हैं। जिसकी वजह से पानी काफी हद तक नुकसान दायक हो जाता है।


ऐसा नहीं है कि सिर्फ शहर के ही लोग इस पानी का इस्तेमाल करते है बल्कि गांव के लोग भी इसका भरपूर इस्तेमाल करते हैं। इस पानी से होने वाले नुकसान को जानने के बावजूद लोग इस पानी का इस्तेमाल करते हैं। इस पानी के लगातार इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां फैल सकती है इससे लीवर में इंफेक्शन हो सकता है और अगर अलग अलग प्लास्टिक के पाउच में पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कैंसर तक की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए पाउच वाले पानी को पीने से कहीं बेहतर है कि हम अपने साथ पानी की बोतल लेकर चलें।