Cyber Crime: इंस्टेंट लोन ऐप के टॉर्चर से 3 युवकों ने दी जान, ज्यादातर अवैध कॉल सेंटर बंगाल और झारखंड हुए शिफ्ट

नई दिल्ली:स्पेशल सेल की IFSO यूनिट ने इंस्टेंट लोन ऐप्स के मामले का संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज किया है। यह केस केनरा बैंक की तरफ से कराया गया है। मामला गूगल प्ले स्टोर पर होस्टेड एक लोन एप्लीकेशन 'CB Loan' से जुड़ा हुआ है, जो केनरा बैंक के नाम पर लोन देने का लालच देकर फ्रॉड कर रहा है। इस संबंध में दिल्ली से फ्रॉड की कई शिकायतें साइबर सेल के पास आई हैं। उन्हें कैनरा बैंक नाम पर इंस्टेट लोन ऐप ने ठगा है। शुरुआती जांच में इस लोन एप्लीकेशन के खिलाफ देश के अन्य राज्यों में भी फ्रॉड के मामले पहले से दर्ज हैं। स्पेशल सेल अफसर का कहना है, जांच शुरू है। जल्द कार्रवाई होगी।

इस बीच गुरुवार को प्रकाशित इंस्टेंट लोन ऐप्स की खबर पढ़ने के बाद देश के कई राज्यों से पीड़ितों ने NBT से संपर्क किया। हमने जब इस लोन स्कैम 2.0 की और गहन पड़ताल शुरू की तो कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आए। इसी टॉर्चर से तंग आकर 2021 में द्वारका के एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी। उस घटना को एक साल भी नहीं हुआ कि इसी एक महीने में पुणे, बेंगलुरु और केरल में 3 युवकों ने लोन रिकवरी गुंडों के 'पोर्न मॉर्फ अटैक' से तंग आकर खुदकुशी कर ली।

चाइनीज ऐप को कर देते हैं होस्ट
2020-21 जब इंस्टेंट लोन से जुड़ा ये पूरा मामला सुर्खियों में आया था, तब इसमें कई NBFC भी शामिल थे, लेकिन RBI की सख्ती और ED की कार्रवाई से घबराकर ज्यादातर NBFC इस वसूली धंधे से निकल चुकी हैं, अब करीब 90% फ्रॉड इंस्टेंट लोन ऍप्लिकेशन्स अन-रजिस्टर्ड और साइबर अपराधियों द्वारा चलाए जा रहे हैं, जो RBI के दायरे से बाहर हैं। ये शातिर बहुत ही सस्ते दाम पर चीन में बने एंड्रॉयड लोन ऐप को खरीद कर गूगल प्ले स्टोर पर होस्ट कर देते हैं, होस्टिंग के समय इनके द्वारा दी गई लगभग सभी जानकारी गलत होती हैं। ये अपने एड्रेस से लेकर नाम तक सब कुछ गलत बताते हैं। पड़ताल में कई ऐप्स तो ऐसे मिले जिनका कोई पता, फोन नंबर, कुछ भी नहीं हैं, फिर भी प्ले स्टोर पर बने हुए हैं।

कई जगह चल रहे कॉल सेंटर
पड़ताल में पता चला 70% से ज्यादा वसूली के अवैध कॉल सेंटर दिल्ली एनसीआर से बाहरी राज्यों में संगठित तरीके से शिफ्ट हो गए हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, बिहार, और झारखंड से अधिकतर ऑपरेट हो रहे हैं। बाकी कुछ ने अपना ठिकाना दिल्ली के अलावा गुरुग्राम और नोएडा में बनाया हुआ है। फर्जी तरीके से लोगों के फोन से हैक किये हुए ID Proof का इस्तेमाल करके ये सिंडीकेट भारी मात्रा में सिम कार्ड ले लेते हैं, इनमे से अधिकतर सिम कार्ड ऐसे भी होते हैं, जिन पर वॉट्सऐप एक्टिवेट करने के बाद टेंपरेरी बंद करवा दिया जाता है, जिससे WiFi से इस सिम कार्ड पर वॉट्सऐप मेसेज और कॉलिंग तो चलती रहे, लेकिन इनकमिंग कॉल ना आ सके और पुलिस भी आसानी से इनको ट्रैक ना कर सकें। इन कॉल सेंटर्स में काम करने वाले ज्यादातर लोग कम पढ़े लिखे होते हैं और उनको सिर्फ एक ही ट्रेनिंग दी जाती है कि किसी भी तरीके से आज तुमको अपना वसूली का टारगेट पूरा करना है, नहीं तो सैलरी और कमिशन कुछ भी नहीं मिलेगा।