सोन का वंश मिटाने में जुटी वंशिका!

  • वंशिका के ख़ंजर तले दब गई! SEIAA और NGT की नीति

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अपने पुत्र के साथ भगवा चोला ओढ़कर सुनहरे रेत के काले कारोबार में संलिप्त हैं। रेत ठेका कंपनी के साथ मिलकर रेत दोहन की आड़ में नदी के अस्तित्व को नष्ट करने में जुटे हैं, इनके करतूतों को लेकर कलेक्टर से लेकर सिया बोर्ड तक शिकायतें की गईं, लेकिन आला-अफ़सररों की नजरें इनायत नहीं हो रही।

कुसुमात्मज/शहडोल।सरकार ने रेत व्यापार के लिए रेत खदानों की नीलामी क्या की, मानो ठेकेदार को नियम कायदों को तोड़कर नदियों का वंश मिटाने की अनुमति मिल गई हो। मसीरा खदान में चल रहे पर्यावरण विरोधी तांडव को लेकर शिक़वा शिकायतें की गई, लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंग रहा। इससे ठेकेदार के मंसूबे पस्त होने की बजाय बुलंद होते चले जा रहे हैं। रेत उत्खनन के नाम पर सोन का स्वरूप बिगाड़ा जा रहा है, लेकिन नियम और कायदों का जिम्मा जिन कंधों पर हैं, वे मैहर के किसी भाजपा नेता (प्रदेश कार्य समिति सदस्य) और नेता पुत्र के आगे नतमस्तक हैं।

जीवनदायिनी को मिटाने में तुले :

उमरिया-शहडोल जिले के सीमाओं को बांटकर निकलने वाली सोन नदी में रेत खदान के नाम पर जो तांडव किया जा रहा है, उससे रेत कारोबारियों और उनके गुर्गों को नदी के अस्त्तिव की तो कोई चिंता नहीं नजर आ रही, लेकिन जीवनदायिनी के संरक्षण को लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी आंखें बंद कर ली हैं, वहीं प्रशासनिक अमला भी मौन है।

नीति को वंशिका के ख़ंजर ने कुचला! :

मैहर के जिस नेता पिता के संरक्षण में आदर्श पुत्र ने मिलकर भगवा चोला की आड़ में सोन नदी में तांडव मचा रखा है, उसके आगे रेत नीति कोई मायने नहीं रखते, शायद यही वजह है कि सिया और एनजीटी के निर्देशों को देखा जाए तो वे सभी मसीरा सोन खदान 39/534 में दम तोड़ रहे हैं, लेकिन जिला से लेकर प्रदेश तक जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं। मसीरा रेत खदान में भारी भरकम 2 से 3 पोकलीन मशीन उतारकर हैवी वाहनों को सोन की गोद मे उतारकर लोड कर सीधे रेत उत्तर प्रदेश सहित अन्य जगहों पर भेजी जा रही है।

बदल दी गई नदी की धारा! :

रेत खदान में जिन शर्तों का पालन सिया/डिया के अनुसार करना चाहिए, उन शर्तों को नदी की धार में पोकलेन मशीन को उतारकर उसके ख़ंजर से कई फिट नीचे दफ़्न कर दिया गया। सूत्रों की माने तो एक स्थान पर ही तय मात्रा से अधिक खनन कर नदी की धार के साथ भी खिलवाड़ किया गया। पर्यावरणीय स्वीकृति को देखा जाए, तो रेत खदान में उसकी इतनी अंदेखी की गई, की सत्यनिष्ठा से जांच की जाए तो रेत खदान की अनुमति तो निरस्त होगी, साथ ही ठेकेदार ब्लैकलिस्टड भी हो सकता है। किंतु जिम्मेदारों ने तो मानो ठेकेदार और सफ़ेदपोश रसूखदारों के आगे नदियों के संरक्षण से मुंह ही फेर लिया।

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भाग 3 में:नेताओं के इशारे अफ़सर के संरक्षण में नदी पर वंशिका का तांडव।