सोन के सीने में रसूखदार सफेद पोश नेता का खंजर..!

रेत दोहन की आड़ में नदी के अस्तित्व से खिलवाड़

चाल, चरित्र और चेहरे को लेकर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अब समाजसेवा छोड़ पुत्र के साथ सुनहरे रेत के काले कारोबार में संलिप्त हैं। यही नहीं रेत माफिया बनने की राह में चल रहे पार्टी सहित लोकप्रिय नेताओं को बदनाम करने में तुले हैं। प्रदेश में शिव सरकार पर श्रीकांत का आदर्श दाग रेत के कारोबार में लग चुका है।

कुसुमात्मज/शहडोल। जिले में 52 खदानों का जिम्मा तो वैसे वंशिका ग्रुप की कम्पनी ने ले रखा है, लेकिन इन खदानों को पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर रेत माफिया य फिर वर्तमान सरकार में दखल रखने वाले बाहूबली नेता संभाल रहे हैं। इन कारनामों ने जहां जहां खदान है, वहां वहां तांडव मचा रखा है, रेत खदान का संचालन करने वाले ठेकेदारों के गुर्गों ने गांव के प्रबुद्धजनों का जीना दूभर कर रखा है, साथ ही इनके रसूख और पहुंच के आगे सख़्त से सख़्त नियम कायदों का खुलेआम माखौल उड़ रहा है, और खनिज से लेकर प्रशासन तक कार्यवाही के नाम पर आसक्त नजर आ रहा है।

मसीरा खदान में रसूखदारों का तांडव:

जिले के जयसिंहनगर तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत मसीरा में रेत खदान का जिम्मा वंशिका ग्रुप ने रसूख के कारण मैहर के तथाकथित भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य को दे रखा, जिसका संचालन नेता पिता के आदर्श पुत्र कर रहे हैं। इस खदान में इनका तांडव उफ़ान पर है, और जहां जो नहीं होना चाहिए, वह भी सोन की गोद में हो रहा है। जिससे ग्रामीणों और जानकारों को जीवनदायिनी के अस्तित्व की चिंता सताने लगी है।

सिया के शर्तों का खुलेआम उलंघन:

खसरा नम्बर 39/534 की मसीरा रेत खदान में सिया द्वारा जिन शर्तों के तहत रेत निकासी का अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया है, वे सभी शर्तें कागजों तक ही सीमित रह गईं। धरातल पर देखा जाए, तो न ही मसीरा पंचायत व आंगनबाड़ी में बोरवेल हुआ, न स्कूली भवन तक बेंच टेबल के साथ दीवारों में रंग चढ़े औऱ तो औऱ 5 हजार वर्ग फुट में पंचायत से समन्वय कर विकसित करने वाले चारागाह का भी दूर दूर तक कोई कार्य नहीं दिखाई दिया। जबकि सोन के सीने मे सीधे दो से तीन पोकलेन मशीनों का खंजर बीसों घण्टे लगातार छलनी कर रहा है, और सोन की गोद मे भारी भरकम वाहन उतारकर सीधे वहीं से लोड कर रेत का ओव्हर लोड परिवहन बिना कवर्ड के किया जा रहा है।

सफेदपोश नेता के आगे नतमस्तक जिम्मेदार:

मसीरा के रेत खदान में नेता और नेता पुत्र के संरक्षण में फलफूल रहे, वहां तैनात गुर्गों के तांडव के आगे खनिज अधिकारी बौने साबित हो रहे हैं। सूत्रों की माने तो रोजगार का झांसा देकर युवकों को बरगलाया गया। साथ ही गांव के जिन जागरूक नागरिकों द्वारा सोन नदी के अस्तित्व और नियम कायदों की दुहाई देने की कोशिशें की गई, उन्हें डरा धमका कर शांत करा दिया गया। लिहाजा नियम और कायदों की भेंट चढ़ाकर रेत निकासी महज बलपूर्वक जारी है, जबकि जिम्मेदारों को जानकारी होने के बाद भी वे मौन हैं।

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भाग 2 में: सोन का वंश मिटाने में जुटी वंशिका!