चकिया- मनरेगा अधिकारियों के साथ आवास योजना में बड़े पैमाने पर गबन करने के आरोप में शासन ने  बीडीओ को किया निलंबित

मनरेगा अधिकारियों के साथ आवास योजना में बड़े पैमाने पर गबन करने के आरोप में शासन ने बीडीओ को किया निलंबित

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चकिया- जहां एक तरफ सरकार पूरे देश को भ्रष्टाचार मुक्त कर रही है और लगातार विकास के दौर में आगे बढ़ रही है। वहीं विकास कार्य जहां नहीं हुए हैं और विकास के लिए आए हुए धन को अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर गांव सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों पर भी कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा रही है।और कुछ अधिकारियों को तो तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया जा रहा है।

इसी क्रम में आपको बताते चलें कि चकिया के खंड विकास अधिकारी सरिता सिंह द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण एवं मुख्यमंत्री आवास योजना में मनरेगा गाइडलाइंस के निर्धारित किसी भी प्रक्रिया का पालन न करते हुए मजदूरी की धनराशि को अन्यत्र खातों में स्थानांतरण कर शाहनवाज अहमद, कंप्यूटर ऑपरेटर, मनरेगा,राजकुमार लेखाकार मनरेगा, अंजनी कुमार सोनकर लेखाकार एवं राजेश सिंह अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा के साथ सांठगांठ करते हुए संगठित तरीके से 2476991 रुपए की शासकीय धन राशि का गबन किया गया है। और उनके द्वारा अपने पद के दायित्वों का पालन न करते हुए अपने कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाही एवं अनुशासनहीनता बरसते हुए वित्तीय अनियमितता की गई। जिसमें मुख्य रुप से खंड विकास अधिकारी सरिता सिंह दोषी पाई गई हैं। जिसके लिए प्रशासन के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के नियम- 7 के अंतर्गत अनुशासनिक कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। और उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील नियमावली) 1999 के नियम- 4 के अंतर्गत सरिता सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

निलंबन की अवधि में सरिता सिंह को वित्तीय नियम संग्रह खण्ड -2 भाग- 2 से 4 के मूल नियम-53 0 के प्रावधानों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि अर्ध वेतन पर दे अवकाश वेतन की राशि के बराबर देय होगी। तथा उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि पर महंगाई भत्ता यदि ऐसी अवकाश वेतन प्रदेश भी अनुमन्य होगा।किंतु ऐसे अधिकारी को जीवन निर्वाह भत्ते के साथ कोई महंगाई भत्ता दिया नहीं होगा जिन्हें निलंबन से पूर्व प्राप्त वेतन के साथ महंगाई भत्ता अथवा महंगाई भत्ते का उपातिक समायोजन प्राप्त नहीं था। निलंबन की अवधि में इस शर्त पर दे होंगे। जब इसका समाधान हो जाए कि उनके द्वारा उस मद में व्यय वास्तव में किया जा रहा है जिसके लिए उक्त प्रति करते अनुमन्य हैं।