मधेपुरा के चार विधानसभा क्षेत्रों के लिए 2020 में हुए चुनाव में करोड़ों रुपए का घपला किया गया है

मधेपुरा के चार विधानसभा क्षेत्रों के लिए 2020 में हुए चुनाव में करोड़ों रुपए का घपला किया गया है। मधेपुरा DM श्याम बिहारी मीणा के आदेश पर जब चुनावी खर्च के कागजात की जांच की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। वेंडर ने अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए के बंदरबांट का प्लान बनाया। बाजार रेट से ज्यादा सामान की कीमत तय की गई।

खाना-पीना, टेंट और लाइट की व्यवस्था के अलावा चुनावी जरूरत के जो सामान थे, उन्हें सप्लाई करने का टेंडर सहरसा के एक वेंडर विजय श्री प्रेस को दिया गया, लेकिन इस वेंडर ने अधिकारियों की मिलीभगत से मधेपुरा जिला प्रशासन और सरकार को 10-15 करोड़ रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया।

बताया जा रहा है कि बड़े टेंडर के लिए मार्केट सर्वे भी किया जाता है, लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं हुआ। कई सामान तो ऐसे हैं, जिनका मूल्य बाजार मूल्य से भी अधिक दिया गया। जैसे माचिस 1 रुपया 10 पैसा, एक सूई 4 रुपए, बैट्री AA साइज 20 रुपए, कैंडिल-29 रुपए, ऑलआउट लिक्विड 105 रुपए, फूल झाडू 98 रुपए, नारियल झाड़ू 400 ग्राम 98 रुपए.... यह सूची सैकड़ों में है।

सूत्र बताते हैं कि सभी फर्जी बिल की निकासी का रास्ता साफ हो चुका था, लेकिन ऐन मौके पर DM का ट्रांसफर हो गया। जब नए DM आए तो उन्होंने सारे बिल की जांच करा दी। इसके बाद सारा घोटाला परत दर परत सामने आने लगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मधेपुरा जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों का पूरा चुनावी खर्च पहले 29 करोड़ का था, फिर घटकर 16 करोड़ का हुआ और अब 13 करोड़ का रह गया है। सिर्फ एक सहरसा जिले के विजय श्री प्रेस का 9 विपत्र पूरे तरीके से फर्जी पाया गया, जिसकी राशि 5-10 करोड़ की बताई जाती है। बाकी विपत्र की भी जब जांच हुई तो उसमें भी सप्लाई सामान की मात्रा या संख्या और गुणवत्ता में काफी अंतर पाया गया, जो 7 करोड़ से अधिक का था, जिसे काट लिया गया।

जांच में खुला घोटाले का राज

अली के हाथ जिला निर्वाचन कार्यालय के वरीय प्रभारी पदाधिकारी शिव कुमार शैव का वह पत्र लगा है, जिसका ज्ञापांक 288 दिनांक -13-4-21 है। यह पत्र मेसर्स विजय श्री प्रेस पंचवटी चौक, गंगजला को भेजा गया है। पत्र बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में किए गए कार्य की बकाया राशि भुगतान के सम्बन्ध में है। पत्र में इस वेंडर के 9 विपत्र को फर्जी करार दिया गया है, जो करोड़ों रुपए का बताया जा रहा है। इन 9 विपत्रों के अलावा इस वेंडर ने 10 करोड़ 32 लाख 34 हजार 100 रुपए का बिल दिया। उसकी जब DM ने जांच करवाई तो पता चला कि इसमें सिर्फ 3 करोड़ 68 लाख 10 हजार 592 रुपए का बिल ही सही है। तत्कालीन DM नवदीप शुक्ला ने वेंडर को 2 करोड़ 95 लाख रुपए एडवांस दे दिया था। GST आदि कटौती के बाद भुगतान की राशि मात्र 2 करोड़ 79 लाख 62 हजार 974 रुपए होती थी। ऐसे में इस एजेंसी को ही 15 लाख 37 हजार 26 रुपए वापस जमा करने का आदेश दिया गया, जो अब तक जमा नहीं हुआ है।

जिला प्रशासन ने वेंडर को भेजा नोटिस।

वहीं, विधानसभा चुनाव 2020 की कंडिका 3 (जो चुनाव में भाड़े पर लिए जाने वाले सामानों को लेकर है) का अवलोकन करने पर एक ही सामान का भाड़ा अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग लिखा गया है। इसमें दोगुने से अधिक का अंतर है। क्रम संख्या 2 में वीडियोग्राॅफी-प्रति अदद (8 घंटे के लिए सीडी के साथ) ऑपरेटर सहित- 690 रुपए। क्रम संख्या 6 में वीडियोग्राॅफी-प्रति अदद (मतदान के दिन मतदान केंद्रों के लिए सीडी के साथ) ऑपरेटर सहित-2280 रुपए। क्रम संख्या 10 में रंगीन टीवी (डीटीएच सहित) बड़ा -प्रति अदद- (24 घंटे के लिए) भाड़ा ऑपरेटर सहित-710 रुपए। क्रम संख्या 12 में रंगीन टीवी (डीटीएच सहित) भाड़ा ऑपरेटर सहित-1600 रुपए।

इस संबंध में ADM उपेंद्र कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर चुनावी खर्च के सभी विपत्रों की जांच की गई। जो गलत बिल था, उन्हें काटा गया है। सही बिल का ही भुगतान किया गया है।