वन विभाग व लेखपाल के हस्तक्षेप के बावजूद काटे गए नीम की लकड़ी को उठा ले गए वन माफिया

सलोन/रायबरेली- आप लोगों ने अभी करोना की दूसरी लहर में देखा होगा कि आक्सीजन को लेकर चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था किंतु वन माफिया जिम्मेदारों से सांठगांठ कर ऑक्सीजन के स्रोत कहे जाने वाले प्रतिबंधित वृक्षों को काटने से जरा भी नहीं कतरा रहे हैं। हद तो तब पार हो जाती है जब सरकारी जमीन में तैयार नीम के वृक्ष को वनमाफिया बेखौफ ढंग से काट लेते हैं।इसकी सूचना जब वन विभाग व हल्का लेखपाल को दी जाती है। तभी मौके पर पहुंचकर वन माफियाओं द्वारा काटी गई नीम की लकड़ी को जब्त कर ली जाती है। उक्त पेड़ के सरकारी जमीन में होने के कारण वन विभाग ने लकड़ी क्षेत्रीय हल्का लेखपाल आशीष विक्रम सिंह को सौंप दिया। जिसपर दो दिन तक लकड़ी मौके पर पड़ी रही किंतु दो दिन के बाद सुबह वन माफिया बेखौफ ढंग से लकड़ी को उठा ले जाते हैं।हम बताते हैं आपको यह पूरा मामला सलोन तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा मटका स्थित ग्राम पूरे दीन का है। जहां पर आंगनवाड़ी केंद्र के बगल में दो नीम के पेड़ खड़े हुए थे।जिसे आज से 2 माह पूर्व वन माफियाओं ने बेखौफ ढंग से काटना शुरू कर दिया।उक्त मामले की सूचना वन विभाग को दी जाती है तो आनन-फानन में वन विभाग ने नीम के वृक्षों के गिरने से पूर्व ही उक्त अवैध कटान के कार्य को रुकवा दिया।जिसके बाद अवसर का तलाश कर वन माफिया आज से लगभग एक सप्ताह पूर्व नीम के पेड़ों पर पुनः आरे चलाने लगे। जिसकी सूचना जब वन विभाग व क्षेत्रीय हल्का लेखपाल को दी जाती है तो मौके पर जाकर लकड़ी जप्त करने के बावजूद दो दिन बाद वन माफिया बेखौफ ढंग से लकड़ी उठा ले जाते हैं। जिससे स्पष्ट है कि वन माफिया मत हाथों से सांठगांठ कर किस तरह प्रतिबंधित लकड़िया पर आए दिन क्षेत्र में आरे चला रहे हैं। जिसमें कोई और नहीं बल्कि जिम्मेदार ही इन माफियाओं का पूर्ण रुप से सहयोग कर रहे हैं। इस मामले में यदि देखा जाए तो सरकारी जमीन में खड़े अवैध वृक्षों को आखिर वन माफिया के हाथों किसने सौदा किया। सबसे अचंभे वाली बात तो यही है और उसके बाद दूसरा अचंभे की बात यह है कि वन विभाग ने जब ग्राम सभा की जमीन में खड़े वृक्ष कि काटी गई प्रतिबंधित लकड़ी को राजस्व विभाग के क्षेत्रीय हल्का लेखपाल आशीष विक्रम को सौंप दिया तो आखिर वह लकड़ी दो दिन बाद वन माफिया आखिर क्यों उठा ले गए ? यदि रेजर सलोन कि माने तो मामले में 4/10 कि कार्यवाही भी नहीं कि गई थी। 4/10 कि कार्यवाही के तहत तय जुर्माना वसूल कर लकड़ी सौंपी जा सकती है किंतु यहां पर यह नहीं हुआ। आखिर क्षेत्रीय हल्का लेखपाल आशीष विक्रम ने लकड़ी किसे और किस उद्देश्य से सौंपा इसका उत्तर मिलना मुश्किल सा लग रहा है।

मामले में लेखपाल को लकड़ी सौप सलोन थाने में दी गई है लिखित तहरीर -रेंजर
इस बावत जब रेंजर सलोन नागेंद्र पटेल से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि मामले में लकड़ी जब्त कर मटका क्षेत्रीय हल्का लेखपाल आशीष विक्रम सिंह को सौंप दिया गया है तथा लिखित तहरीर दी गई है।अब सलोन पुलिस ने मामले में मुकदमा पंजीकृत किया या नहीं इस सम्बन्ध में जानकारी नहीं है।

क्या कहते है लेखपाल आशीष विक्रम -
जब इस बाबत हल्का लेखपाल आशीष विक्रम सिंह से जानकारी ली गई तो इस मामले में इनके दो अलग-अलग चौंकाने वाले बयान आये। उन्होंने पहले बताया कि मामले में रिपोर्टिंग कर लकड़ी वन विभाग को सौंप दी गई है और दूसरी बार गहनता से जानकारी लेने पर बताया कि लकड़ी को ग्राम प्रधान को सौंप दिया गया है। आखिर इन्होंने वन विभाग द्वारा पकड़ी गई लकड़ी किसे सौंपा इस तथ्य कि स्पष्ट जानकारी जांच के बाद ही हो सकेगी।