सलोन सीएचसी में तैनात स्टाफ नर्श मेनका की लापरवाही से गई एक नवजात शिशु की, जिम्मेदार कौन?

जगतपुर/रायबरेली-इस वक्त जहाँ पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है साथ ही ऐसे समय में डॉक्टर भी अपनी जान जोखिम में डाल कर लगातार लोगो की जान बचाने में लगे है। सीएमओ साहब लगातार फेर बदल करते चले जा रहे है लेकिन इन्ही में कुछ लोग ऐसे भी है जो अच्छे डॉक्टरों की छवि को भी गन्दा कर रहे है। इस संसार में भगवान के बाद किसी को यह दर्जा प्राप्त है तो वह डॉक्टर है। जीवन मरण किसी के हाथ में नहीं परंतु चिकित्सक को भगवान का रूप माना जाता है। डॉक्टरी को एक सामाजिक सेवा के रूप में देखा जाता परंतु समय के बदलते परिवेश के आज डॉक्टरी एक व्यापार बन गया है। सरकारी अस्पतालों में देखा जाए तो यह प्राइवेट अस्पतालों के तरीके ही कार्य कर रहा है और मरीजों का शोषण करता है।

एक ऐसा ही मामला रायबरेली जनपद के जगतपुर के अंतर्गत पारी गांव का देखने को मिला है।जहाँ एक गर्भवती महिला सलोन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इस आस में पहुंची की वह सकुशल अपने बच्चे को इस दुनिया में ला पाएगी लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद एक स्टाफ नर्श मेनका ने चंद पैसो की लालच में आकर एक माँ से उसका यह सपना तोड़ दिया है।जब डिलीवरी के पश्चात बारी टाके लगने की आई तो वहां मौजूद स्टाफ नर्श मेनका ने उस मजबूर महिला से 2300रूपए की मांग की और ये कहा की जब तक उसे पैसे नहीं मिलेंगे वह टाके नहीं लगाएंगी। साथ ही उन्होंने नवजात बच्चे को भी पैसे न मिलने पर अनदेखा किया।बच्चे की ठीक तरीके से देख रेख न करने की वजह से बच्चे ने अपना दम तोड़ दिया है। सवाल अब यह उठता है कि क्या एनम के लिए सब कुछ पैसा ही है। उस मजबूर माँ का दर्द आज कोई नहीं समझ सकता लेकिन मेनका जैसी स्टाफ नर्सो की वजह से पूरा मेडिकल स्टाफ बदनाम हो रहा है। ऐसी नर्सो को तत्काल प्रभाव से नौकरी से हटा देना चाहिए ताकि फिर कभी कोई भी माँ को ऐसी परिस्थिति का सामना न करना पड़े। एक मां ने मेनका की वजह से अपना बच्चा खो दिया है,जिसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता हैं।

क्या कहते है सीएमओ साहब!

इस मामले पर जब सीएमओ वीरेन्द्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया है की मेनका नामक नर्श की कई शिकायते सामने आ चुकी है। साथ उन्होंने तत्काल कार्यवाही करने की भी बात कही है।अब देखना यह है कब तक करते है करवाई?