गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व विधायक नहीं रहे

नसीराबाद/रायबरेली- अमेठी संसदीय क्षेत्र के सलोन विधानसभा क्षेत्र की अजीम शख़्सियत,व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांँधी के पारिवारिक सदस्य जैसे रहे,जनता के मसीहा शिवबालक पासी का रविवार को रात इलाज के दौरान निधन हो गया।इस खबर से जनपद रायबरेली और अमेठी के समूचे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।उत्तर प्रदेश का रायबरेली जिला हमेशा राजनीति को लेकर चर्चा में रहा है किन्तु निहायत गरीब परिवार में जन्मे शिवबालक पासी ने प्रदेश सरकार में राज्यमन्त्री और केन्द्रीय राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त करके नया इतिहास रच दिया। उनका पैतृक घर जायस नगरपालिका के पास मवई आलमपुर गाँव में था किन्तु वे डीह ब्लॉक के थौरी गाँव में ननिहाल में रहने लगे।

31दिसम्बर 1942 को भगौती प्रसाद पासी के घर जन्मे शिवबालक पासी ने 30 वर्ष की आयु में 1972 में ग्राम प्रधान का चुनाव जीता और 8 सालों तक इस पद पर रहे। तबसे निरन्तर 48 वर्षों तक इन्हीं का परिवार काबिज़ है।ग्राम प्रधान बनने के साथ ही महत्वाकांक्षा को पर लगे और उन्होंने "पासी गूजर संघ" बना कर सलोन क्षेत्र में अपनी पैठ बनाई और हाथी चुनाव निशान से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ा किन्तु हार गए।
1977 में संजय गांधी से मिलकर काँग्रेस में शामिल होने के बाद से वे आजीवन कांँग्रेस के प्रति निष्ठावान बने रहे।कांँग्रेस के टिकट पर वे सलोन विधानसभा क्षेत्र से पाँच बार विधायक चुने गए और प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बने। गांधी परिवार की नज़दीकियों के चलते विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद उन्हें केन्द्रीय सफाई आयोग का चेयरमैन बना कर केन्द्रीय राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था।वे अमेठी संसदीय क्षेत्र में काँग्रेस के सबसे मजबूत स्तम्भ थे। उ.प्र.कांँग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद पर रहकर संगठन को मजबूत करने में उनकी भूमिका अनुकरणीय रही।उनका निधन कांँग्रेस के लिए बहुत बड़ी क्षति है तो गरीब मज़लूमों का उससे भी बड़ा नुकसान।उनकी अन्त्येष्टि गाँव में हो रही है जिसमें मुख्य रूप से जिला काँग्रेस अमेठी के अध्यक्ष प्रदीप सिंहल, वरिष्ठ नेता टी.एन. त्रिपाठी, डा. कामता नाथ सिंह, सैयद हुसैन, जिला सचिवगण तुलसीराम पासी और राजीव द्विवेदी, त्रिभुवन भारती, ब्लॉक काँग्रेस के अध्यक्षगण डीह के शिवदर्शन पासी, छतोह के विष्णुकान्त मिश्र, कुलदीप पटेल, अजय द्विवेदी, पूर्व ब्लाक प्रमुख छतोह,,सैय्यद अहमदं आदि शामिल हुए।उनके ज्येष्ठ पुत्र राजबहादुर पासी ने उन्हें मुखाग्नि दी और जनसमुदाय ने नम आँखों से अन्तिम विदाई दी।