योगी सरकार का बड़ा फैसला: कानपुर और बनारस में लागू होगा कमिश्नरेट,ऐसी होगी पुलिस आयुक्त प्रणाली

योगी सरकार का बड़ा फैसला: कानपुर और बनारस में लागू होगा कमिश्नरेट,ऐसी होगी पुलिस आयुक्त प्रणाली

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

यूपी में राजधानी लखनऊ और नोएडा के बाद वाराणसी और कानपुर में भी कमिश्नरेट सिस्टम लागू कर दिया गया है। गुरुवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई। यूपी के बड़े शहरों में अपराध और अपराधियों पर अधिक नियंत्रण करने के लिए इस सिस्टम का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण वाराणसी और सूबे की औद्योगिक नगरी होने के कारण कानपुर में इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव बनाया गया था। इस संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि दोनों स्थानों पर जल्द ही पुलिस कमिश्नर की तैनाती की जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शीर्ष वरीयता अब भी उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था ही है। लखनऊ के साथ ही नोएडा में प्रयोग के तौर पर पुलिस कमिश्नर को तैनात किया गया था। दोनों जगह पर एक वर्ष से भी अधिक समय से लागू इस सिस्टम से अपराध में नियंत्रण में सफलता भी मिली है। इसी के बाद से योगी आदित्यनाथ सरकार पुलिस कमिश्नर प्रणाली को अन्य महानगरों में भी लागू करने की तैयारी में लगी थी। यहां पर भी एडीजी या उनके स्तर के अधिकारी पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात होंगे।


लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने के बाद से यूपी के बड़े शहरों में भी लागू करने की मांग हो रही थी। कहा जाता है कि कमिश्नरेट सिस्टम से आम लोगों को फायदा होता है। अभी किसी भी जिले में छह से सात आईपीएस होते हैं। नया सिस्टम लागू होने पर एक जिले में 15 से 20 आईपीएस तैनात होंगे।

*कानपुर व वाराणसी में ये होंगे शहरी और ग्रामीण इलाके के थाने कानपुर के शहरी इलाके में होंगे 34 थाने*
-कोतवाली, मूलगंज, फीलखाना, कलेक्टरगंज, हरबंश मोहाल, बादशाही नाका, अनवरगंज, रायपुरवा, बेकनगंज, छवनी, रेल बाजार, चकेरी, कर्नलगंज, ग्वालटोली, गोहना, सीसामऊ, बजरिया, चमनगंज, स्वरूपनगर, नवाबगंज, काकादेव, कल्यानपुर, पनकी, बाबूपुरवा, जूही, किदवई नगर, गोविंद नगर, नौबस्ता, बर्रा, नजीराबाद, फजलगंज, अर्मापुर, महिला थाना।

*आउटर कानपुर के 11 थाने*
महाराजपुर, सचेंडी, बिल्हौर, शिवराजपुर, घाटमपुर, साद्र,बिधनू, सजेती, ककवन और चौबेपुर, नर्वल


*वाराणसी नगर के 18 थाने*
कोतवाली, आदमपुर, रामनगर, भेलूपुर, लंका, माडुवाडीह,चेतगंज, जैतपुरा,सिगरा, छावनी, शिवपुर, सारनाथ, लालपुर-पांडेपुर, दशाश्वमेघ, चौक, लक्सा, पर्यटक, महिला थाना

*वाराणसी ग्रामीण के 10 थाने*
रोहनिया, जंसा, लोहता, बड़ागांव, मिर्जामुराद, कापसेठी, चौबेपुर, चोलापुर, फूलपुर व सिंधौरा

*फैसला लेने को पुलिस हो जाएगी स्वतंत्र*
यदि हम कमिश्नर प्रणाली को सामान्य भाषा में समझें तो पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश अनुसार ही कार्य करते हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाते हैं।


*कमिश्नर ले पाएंगे निर्णय*
कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर पुलिस के अधिकार काफी हद तक बढ़ जाएंगे। कानून व्यस्था से जुड़े तमाम मुद्दों पर पुलिस कमिश्नर निर्णय ले सकेंगे। जिले में डीएम के पास अटकी रहने वाली तमाम फाइलों को अनुमति लेने का तमाम तरह का झंझट भी खत्म हो जाएगा। कमिश्नर सिस्टम लागू होते ही एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मैजिस्टेरियल पावर पुलिस को मिल जाएगी। इससे पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकेगी। इन चीजों को करने के लिए डीएम से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी, फिलहाल ये सब लगाने के लिए डीएम की सहमति जरूरी होती है।

क्या हैं इस प्रणाली के फायदे
कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएम आदि अधिकारियों के फैसले के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस खुद किसी भी स्थिति में फैसला लेने के लिए ज्यादा ताकतवर हो जाएगी। जिले की कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसलों को लेने का अधिकार कमिश्नर के पास होगा। होटल के लाइसेंस, बार के लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी इसमें शामिल होगा। धरना प्रदर्शन की अनुमति देना ना देना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो यह भी पुलिस ही तय करती है। जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस को मिल जाएगा।

*डीएम के कई अधिकार पुलिस अधिकारी को मिलेंगे*
भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं। इस पद पर आईएएस अधिकारी बैठते हैं। लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है। जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं।

*पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पावर*
पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है। देश में ज्यादातर यह प्रणाली महानगरों में लागू की गई है। पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं। सीआरपीसी के तहत कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं। इस प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही मजिस्ट्रेट पॉवर का इस्तेमाल करती है।

*बड़े महानगरों के लिए उपयोगी है कमिश्नर प्रणाली*
हरियाणा में 3 महानगरों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू है। इन शहरों में एनसीआर गुरुग्राम, फरीदाबाद और चंडीगढ़ से लगा पंचकुला शहर शामिल है। नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहरों में कमिश्नरी सिस्टम लागू करने के बाद अब वाराणसी और कानपुर के लिए भी वही तर्क दिया गया कि यहां के शहरों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। कानून व्यवस्था बेहतर बनाए रखने और लोगों को सुरक्षा देने के लिए इसे लागू किया जाना जरूरी है।

*कैसे होगा काम*
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस को बड़ी राहत मिलती है। कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है। जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करता है, वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होता है। सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं ये 2 से 4 थानों को देखते हैं।

*कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर ये होंगे पुलिस के पद*
पुलिस आयुक्त या कमिश्नर - सीपी
संयुक्त आयुक्त या ज्वॉइंट कमिश्नर ?जेसीपी
डिप्टी कमिश्नर ? डीसीपी
सहायक आयुक्त- एसीपी
पुलिस इंस्पेक्टर ? पीआई
सब-इंस्पेक्टर ? एसआई