शषि के नारायण का नागौद हुआ तबादला...

रसूखदार स्वच्छता निरीक्षक के काले कारनामों की लंबी फेहरिस्त..!

उमरिया। नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय द्वारा प्रदेश के कई जिले के नगरीय क्षेत्र के अधिकारियों के स्थानांतरण सूची जारी करते हुए अधिकारियों को इधर से उधर स्थानांतरित किया गया है। वहीं उमरिया जिले में पदस्थापना से कई वर्षों तक अंगद की तरह जमे उमरिया नगर पालिका में स्वचछता निरिक्षक के पद पर नारायण दुबे का स्थानांतरण नगर परिषद नागौद के लिए हुआ है। इससे पहले भी नारायण दुबे का तबादला हो चुका है किंतु सत्ता पक्ष और विपक्ष को साधने में माहिर नारायण दुबे ने उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लाकर यहीं अपना पैर जमाए रखा। 9 फरवरी के स्थानांतरण सूची में नारायण दुबे का नाम फिर आया, लेकिन सूत्रों की माने तो जिले से मोह नहीं छूट रहा है और वे तबादला रूकवाने की जुगत में हैं। खबर है कि नगर पालिका परिषद उमरिया में लगभग 29 वर्षों से जमें नारायण दुबे ने जमकर मलाई छानी है। यदि नगर पालिका परिषद उमरिया में इनके कार्यकाल की जांच की जाए तो बहुत से काले चिट्ठे बाहर आ सकते हैं लेकिन इनके रसूख के कारण इनकी शिकायत करने से लोग असहज महसूस करते हैं वहीं यदि किसी ने विरोध करने की कवायद की तो जांच अधर में लटकी रह जाती हैं। ऐसा ही एक आरोप रिश्वत मांगने का भी लग चुका है जिसकी जांच अटकी है। तबादला सूची में नाम आने के बाद जिले में चर्चा तेज हो गई है कि कहीं यह फिर से न जुगत लगाकर यहीं जमे रहें। वहीं जिले से दो अन्य लोगों के स्थानातरण हुए हैं जिनमें अनिल पुरी नगर परिषद चंदिया का नगर परिषद शहडोल व मनीष कुमार शाहा नगर परिषद उमरिया का नगर परिषद अमरकंटक के लिए हुआ है।

निलंबित हो चुके नारायण :

स्वछता निरीक्षक के पद का जिम्मा सम्भालने वाले जिम्मेदार पर तत्कालीन कलेक्टर माल सिंह भयडिया ने नारायण दुबे को भ्रष्टाचार और स्वेच्छाचारिता के आरोप में निलंबित भी किया था। खबर है कि जिले में बह रही भ्रष्टाचार के नदियों में नारायण दुबे ने मन भर डुबकी लगाई है, वहीं इनके कार्यकाल के समय क्रय सामग्री से लेकर राशि भुगतान में भी वारा न्यारा किया गया।

रसूख से मिला प्रभार :

यही नहीं नारायण दुबे को उनके रसूख और दबदबे के कारण समय - समय पर नगर पालिका अधिकारी का प्रभार भी मिलता रहा है, जबकि नियमतः नगर पालिका मुख्य अधिकारी का प्रभार उसी कर्मचारी को दिया जा सकता है जिसकी पदोन्नति मुख्य नगर पालिका अधिकारी के पद पर किये जाने का विचार सम्भव हो, लेकिन नियम और कायदों को कुचलने वाले भ्रष्ट स्वच्छता निरीक्षक को उनके रसूख के चलते पूर्व में उन्हें प्रभार मिला।