मजदूरों ने धूमधाम से मनाया नरेगा दिवस राज्य की न्यूनतम मजदूरी एवं नरेगा मजदूरी ₹600 करने की मांग

भीम से दुर्गाप्रसाद सिंघानिया की रिपोर्ट
जवाजा, 2 फरवरी 2021
2 फरवरी 2006 से नरेगा कानून लागू किया गया था, जिसे लागू हुए 15 वर्ष का समय हो गया लेकिन जो समस्याएं इसके शुरुआती दौर में थी वहीं आज भी बनी हुई है। आज जवाजा की पाल पर राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन और मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े मजदूरों ने धूमधाम से मनाया। इस मौके पर जवाजा पाल में सभा हुई जिसमें अपनी बात रखते हुए राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सचिव बालु लाल ने कहा कि नरेगा को लागू हुए डेढ़ दशक हो गया लेकिन समस्याएं जश की तश बनीं हुई हैं आज भी लोगों को काम के आवेदन कर रसीद नहीं मिलती है। उसी प्रकार नरेगा मजदूरी और राज्य की न्यूनतम मजदूरी बहुत कम है। उन्होंने कहा कि सातवें वित्त आयोग ने कहा था कि किसी को भी 18 हजार से कम महीने का नहीं दिया जाना चाहिए। इसलिए उन्होंने कहा कि आज नरेगा में और राज्य की न्यूनतम मजदूरी कम से कम 600 रुपए प्रति दिन की जाए। इसका सभी मजदूरों ने समर्थन किया। इस मौके पर बराखन से आई भगवती देवी ने कहा कि लॉकडाउन में सभी लोग लौटकर घर आ गए और कोई दूसरा काम नहीं है इसलिए केंद्र सरकार को दिनों की गारंटी 200 दिन की जाए।

*जवाजा के बाजारों में निकली रैली*
जवाजा पाल से बाजारों से होते हुए रैली निकाली जो पंचायत समिति पहुंची। मजदूरों ने जोश भरे नारे लगाए। और न्यूनतम मजदूरी 600 रुपए किए जाने और 200 दिन की मांग के नारे लगाए।
*कार्यवाहक विकास अधिकारी को दिया प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन*
रैली पंचायत समिति पहुंची वहां पर भी सभा हुई जिसमें राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के संभागीय सचिव अजमेर महेंद्र सिंह उर्फ कार्तिक ने कहा कि आवेदन करने पर काम दिया जाता नहीं है और उसके बाद बेरोजगारी भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है साथ ही तकनीकी कर्मचारी अपना काम करते नहीं हैं जिसका खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ता है। यहां पर रावतमाल ग्राम पंचायत से आई सीता देवी ने कहा कि राज्य में लंबे समय से हम लोग औजार भत्ते की मांग करते आ रहे हैं। हमें मजदूरी का 10% औजार भत्ता दिया जाए लेकिन अब हमें इसके लिए राज्य स्तर पर जाकर आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ेगा।

सभा को रूप सिंह, सपना, सुशीला देवी, हेमलता, प्रेमी, सिमरन, कंचन, श्याम, ओम सिंह, माया,ईशवर, प्रवीण आदि ने भी संबोधित किया। इसके बाद देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं।राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन दिया।

उल्लेखनीय है कि मध्य राजस्थान के गाँव से अकाल राहत कार्य में बहुत कम लोगों को काम मिलने और उसका क्रियान्वयन ठीक नहीं होने पर मजदूरों ने यह मांग उठाई कि ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक परिवार को काम की गारंटी का अधिकार हो ऐसा कानून बनाया जाए. राजस्थान से उठी इस मांग ने राष्ट्रीय रूप धारण कर लिया और पूरे देश में यह मांग पुरजोर तरीके से उठाई जाने लगी. इस मांग को देखते हुए इसे न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शामिल किया गया और उसी वादे को निभाते हुए और ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को रोज़गार देने के उद्देश्य से 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कानून बनाया गया. जिसे आज महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी (नरेगा)के नाम से जाना जाता है. इस कानून को शुरुआत में देश के 200 जिलों में 2 फरवरी 2006 से लागू किया गया था. इस दिन को ग्रामीण क्षेत्र के मजदूर नरेगा दिवस के रूप में इसे मनाते हैं.।

रूप सिंह, महेंद्र सिंह उर्फ कार्तिक, श्याम, सपना, ईश्वर, सिमरन, हेमलता, माया, कंचन एवं कई कार्यकर्ता मौजूद थे।