मैं भी जीना चाहती हूं, तेरे आंचल में सांस लेना चाहती हूं, दहेज का नाम मिटा दो, बेटी का गला दबा दो, केरियर महिला मंडल द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस पर हुई प्रतियोगिताएं

देवगढ़ से महेश पालीवाल की रिपोर्ट

राजसमंद 24 जनवरी आज भी बेटियां अपने हक के लिए लड़ रही हैं। अपनी खिलखिलाहट से सभी को खुशी देने वाली लड़कियां आज भी खुद अपनी ही खुशी से महरूम हैं। कुछ जगहों पर उनकी शादी छोटी उम्र में ही कर दी जाती है। यह विचार राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मे युवतियो ओर महिलाओ ने व्यक्त किए। नगर मे रविवार को नेहरू युवा केंद्र के कॅरियर महिला मण्डल ओर महिला अधिकारिता विभाग राजसमंद की ओर से राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कई प्रतियोगिताओ का आयोजन किया गया जिसमे मण्डल अध्यक्ष निशा चुण्डावत ने कन्या भ्रूण का हो क्यों हनन? इस पर थोड़ा करो मनन! जीव का है जीवन अधिकार, फिर क्यों उस पर अत्याचार? मैं भी जीना चाहती हूँ तेरे आँचल मे सांस लेना चाहती हूँ, अवंतिका शर्मा ने दुनिया के लोभी चक्रव्यूह को मैं तोड़ना चाहती हूं अभी बोल नहीं पाती, लेकिन समझ तो जाती हूं। भावना सुखवाल ने भारत का सम्मान होती हैं बेटियां, मां-बाप का अभिमान होती हैं बेटियां ओर चेतना सेन ने दहेज का नाम मिटा दो या बेटी का गला दबा दो पर अपनी प्रस्तुति दी। इस अवसर पर रेखा सोनी, पल्लवी सीसोदिया, अवंतिका शर्मा, नीलम पँवार, पूनम पँवार, चेतना सेन, विजयलक्ष्मी धाभाई, पवन सेन, संगीता सेन, वंदना पेशवानी आदि मोजूद थी।