राशन में मिल रहा सड़ा और घुन लगा चना,लापरवाही किसकी??

धमतरी/छत्तीसगढ़:-इन दिनों सरकारी राशन की दुकानों से प्रत्येक कार्ड धारकों को एक किलो निःशुल्क चने का वितरण किया जा रहा है। लेकिन जिले में वितरित हो रहा चना कीड़ा युक्त सड़ा घुना होने के कारण लोगों को बीमार कर सकता है। व्यवस्था के तहत प्रत्येक माह में एक बार कार्ड धारकों को एक किलो मुफ्त में चना देने का नियम है। जिसके साथ प्रत्येक कार्ड धारक को एक किलो मुफ्त में चना भी देने का प्रावधान है।

वही राशनकार्ड हितग्राहियों से मिली जानकारी के अनुसार राशन दुकान संचालक द्वारा कार्ड धारकों को मुफ्त में चना देने के नाम पर सड़ा घुना चना देकर सरकारी औपचारिकता निभाते देखी गई। जिससे कार्ड धारकों में काफी मायूसी एवं नाराजगी भी है। कार्ड धारकों का आरोप है कि जिम्मेदारों द्वारा मुफ्त में चना देने की सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। एक किलो चने में एक तिहाई कीड़े हैं, बाकी सड़ा घुना है। जिसको खाकर आम आदमी बीमार भी हो सकता है।

राशन हितग्राहियों ने आरोप लगाया कि पहले चना जब पैकेट में मिलता था, तब तक ठीक था, जबसे खुला चना दिया जा रहा है इसकी क्वालिटी गिर गई है। लोगों का कहना है कि चना में कीड़ा लगा है। यह किसी भी तरह से खाने योग्य नही है। इस तरह से लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जो एक जांच का विषय है।

खराब चना देख कई हितग्राहियों ने लेने से किया मना
बीपीएल परिवार को सस्ते चावल के साथ सरकार प्रति किलो की दर पर चना दे रही है। शासन को चना सप्लाई करने वाली फर्म मनमानी करते हुए सड़े और घुन लगे खराब चने सप्लाई कर रही है, जिसे लेकर राशन हितग्राहियों ने विरोध जताया है। गरीब परिवारों के लिए बोरी में चना सप्लाई किया गया है चना सड़ा और घुन लगा देखकर हितग्राहियों में नाराजगी है और कार्ड धारको ने वितरक पर मनमानी करने की बात की।

वही कुछ माह पूर्व बैतूल से छत्तीसगढ़ भेजे जा रहे सौ टन चने की खेप में फफूंद लगा और घुन लगा चना मिला, जिसे रास्ते से ही वापस कर दिया गया। चने का भंडारण करने वाले एमपी लॉजिस्टिक वेयर हाउस कॉरपोरेशन की इसमे बड़ी लापरवाही सामने आई है। छत्तीसगढ़ भेजे जा रहे इस चने को छत्तीसगढ़ में बीपीएल हितग्राहियों में बांटा जाना था। लेकिन इसके फफूंद लगे और गुणवत्ता हीन होने की शिकायत के बाद घटिया सप्लाइ का यह खेल उजागर हो गया।

बताया जा रहा है कि साल 2018 में नेफेड ने समर्थन मूल्य पर चने की खरीदी की थी, जिसे वेयरहाउस कॉरपोरेशन के जरिये सरकारी और प्राइवेट वेयर हाउसो में रखा गया था। इस चने को कोरोना काल मे केंद्र सरकार ने गरीबों की मदद के लिए राशन के तौर पर देने का फैसला किया। फ्री में बांटे जाने वाले इस चने को छत्तीसगढ़ सरकार को देने के आदेश दिए गए थे। इसका ठेका रायपुर की अनाज कंपनी भारत दाल इंडस्टीज को सौंपा गया है। इसके घटिया होने का खुलासा तब हुआ जब कंपनी के ट्रक ड्राइवर और क्लीनरों को इसका वजन और क्वालिटी घटिया होने का संदेह हुआ और उन्होंने पूरे खेप की जांच करना शुरू किया।