आचार्य श्री शिवम जी महाराज इंन्द्रप्रस्थ ने बताया -करवा चौथ पूजा व अर्घ देने का मुहूर्त

।।अचल होउ अहिवातु तुम्हारा। जब लगी गंग जमुन जल धारा।।अर्घ देते समय चंद्रमा की शुभ किरणों से औषधीय गुण प्राप्त होते हैं - भारतीय हिंदू स्त्रियों के लिए करवा चौथ का व्रत अखंड सुहाग देने वाला माना जाता है विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की मंगल कामना करती है। भगवान चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करती हैं यह मंगल व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है वामन पुराण के अनुसार करक चतुर्थी व्रत के नाम से इसका उल्लेख प्राप्त होता है इस बार यह 4 नवंबर को है करवा चौथ पूजा व अर्घ देने का मुहूर्त व समय शाम को 7/40 के बाद है व्रत में निर्जला व्रत रखने का विधान है अर्थात इस व्रत में पूरे दिन जल भी ग्रहण नहीं करते कठोर उपासना व्रत से भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं जिसमें शिव पार्वती जी से अपने सुहाग के जोड़े को स्वास्थ्य व दीर्घकाल व लंबी उम्र व संतान सुख की कामना करती है । वनस्पतियों में दिव्य गुणों का प्रवाह - श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार चंद्रमा को औषधि देवता माना गया है चंद्रमा अपनी हिम किरणों से समस्त वनस्पतियों में दिव्य गुणों का प्रभाव रहता है समस्त वनस्पति अपने तत्वों के आधार पर औषधीय गुणों से युक्त हो जाती हैं जिससे रोग कष्ट दूर हो जाते हैं और अर्घ देते समय पति पत्नी को भी चंद्रमा की सुख किरणों का औषधि गुण प्राप्त होता है दोनों के मध्य प्रेम और समर्पण बना रहता है प्राचीन मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है ।

शोभित पांडेय की रिपोर्ट