कोंच में गढ़ी के मैदान में सम्पन्न हुई मारीच वध,सीताहरण,रावण जटायु युद्ध की मैदानी लीला

रिपोर्ट-विवेक द्विवेदी


जालौन के कोंच की ऐतिहासिक और विश्व विख्यात रामलीला का दूसरा मैदानी आयाम कोविड के चलते रस्म अदायगी में निपट गया। गुरुवार को 'मारीच बध, सीता हरण और रावण-जटायु युद्ध' का सजीव मंचन गढी के मैदान में हजारों लोगों की भीड़ में मेले के रूप में पिछले 167 बर्षों तक होता रहा है लेकिन अबकी दफा कोरोना संक्रमण को देखते हुए मेलों पर शासन की रोक के मद्देनजर रामलीला के आयोजकों ने मारीच और जटायु के छोटे-छोटे पुतलों के साथ मैदानी लीला की औपचारिकता बिना मेले के निभाई
प्रसंग के अनुसार जलकल कार्यालय के नीचे बनाई गई पंचवटी में राम, सीता और लक्ष्मण विराजमान हैं। स्वर्ण मृग का रूप धारण कर रावण का मामा मायावी मारीच वहां विचरण करता है जिसे देख सीता प्रभु राम से उसका आखेट करने का आग्रह करती हैं। राम लक्ष्मण को सीता की सुरक्षा का दायित्व सौंप कर मृग का पीछा करते हैं। कुछ समय पश्चात सीता को राम का आर्तनाद सुनाई देता है तो सीता व्याकुल हो उठती हैं और लक्ष्मण को आर्यपुत्र की सहायता के लिए जाने का आदेश देती हैं। लक्ष्मण पंचवटी के चारों ओर सुरक्षा चक्र बना कर उस दिशा में चले जाते हैं जहां से आर्तनाद का स्वर सुनाई दिया था। इसी बीच ब्राह्मण का वेश बना कर रावण सीता से भिक्षा मांगने आता है और सीता को लक्ष्मण रेखा से बाहर आकर भिक्षा देने के लिए विवश कर देता है। जैसे ही सीता सुरक्षा चक्र से बाहर आती हैं, रावण उनका हरण कर लेता है और पुष्पक विमान में बिठा कर आकाश मार्ग से लंका की ओर चल देता है। जटायु का रावण से घनघोर युद्ध होता है और अंत में रावण जटायु को बुरी तरह विदीर्ण करके सीता को लेकर चला जाता है। सीता का अन्वेषण करते हुए राम लक्ष्मण जटायु के पास पहुंचते हैं तो जटायु उन्हें सीता हरण का पूरा वृत्तांत सुना कर अपने प्राण त्याग देता है। राम अपने हाथों उसे मुखाग्नि देकर अपने धाम भेज देते हैं

रिपोर्ट-विवेक द्विवेदी कोंच जालौन