*नवरात्र के प्रथम दिन पर मां शैलपुत्री की कैसे करें और शुभ मुहूर्त पर कलश की स्थापना किस प्रकार करें जानिए*

17 अक्टूबर, 2020 यानी कल से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है। नवरात्रि के हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और नवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि के त्योहार को पूरे देश में बड़े ही धूमधाम के साथ लोग सेलिब्रेट करते हैं।

नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त? प्रात: छह बजकर 23 मिनट से प्रात: 10 बजकर 12 मिनट तक है।

नवरात्रि का प्रथम दिन मां शैलपुत्री का होता है जिस पर पूजा, पद्धति के लिए मंत्र और स्तोत्रनवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। शैलीपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। इसी वजह से मां के इस स्वरूप को शैलपुत्री कहा जाता है। इनकी आराधना से हम सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। मां शैलपुत्री का प्रसन्न करने के लिए यह ध्यान मंत्र जपना चाहिए। इसके प्रभाव से माता जल्दी ही प्रसन्न होती हैं और भक्त की सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं।

*पूजा विधि*

सबसे पहले मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर केशर से 'शं' लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। तत्पश्चात् हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें

*मंत्र इस प्रकार है*

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम

मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प मनोकामना गुटिका एवं मां के तस्वीर के ऊपर छोड़ दें। इसके बाद प्रसाद अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जप कम से कम 108 करें

मंत्र - ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम

मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां दुर्गा के चरणों में अपनी मनोकामना व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें तथा आरती एवं कीर्तन करें। मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प मनोकामना गुटिका एवं मां के तस्वीर के ऊपर छोड़ दें। इसके बाद भोग अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें। यह जप कम से कम 108 होना चाहिए

ध्यान मं

वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्?

वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्?

अर्थात- देवी वृषभ पर विराजित हैं। शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है। नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए

स्तोत्र पा

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणी

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमा

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशि

मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥न।॥न्।॥म्।ठ ।॥। त्र।