6 लेन के लिए ऐतिहासिक तिर्वा नगर उजाड़ने की बजाय बाईपास पर विचार करे सरकार

तिर्वा के सर्वदलीय नेताओं, व्यापारियों और वाशिंदों का मुख्यमंत्री को ज्ञापन

कन्नौज। कन्नौज तिर्वा मार्ग के 6 लेन निर्माण की संभावना के मद्देनजर आज तिर्वा के पुराने वाशिंदों ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्रा को सौंपकर नगर सीमा में बाईपास के विकल्प पर विचार करने की मांग की है। ज्ञापन में एक विधिक उद्धरण देते हुए राज्य बनाम मकरंद सिंह का भी उल्लेख किया गया है जिसमे राज्य का लोक निर्माण विभाग पराजित हुआ था। 1967 में हुए इस फैसले में उत्तर प्रदेश रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट 1945 के तहत की गई लोक निर्माण विभाग की आपत्ति कर मकरंद सिंह के निर्माण को उच्च न्यायालय ने वैध करार दिया था।तभी से यह निर्णय लागू है। इतना ही नही शुरू में यह सड़क ज़िला पंचायत की थी जिसे 1964 में लोक निर्माण विभाग फतेहगढ़ को स्थानांतरित किया गया। सपा शासन काल मे इस सड़क का चौड़ीकरण हुआ और फोरलेन बना दिया गया। उस समय भी विकास के नाम पर नागरिकों ने कोई खास आपत्ति नही की। विभाग ने इसके लिए कोई मुआबजा भी नही दिया था। 1960 में हुई चकबंदी के बाद यहां तत्कालीन अफसरों ने निर्धारित जमीन छोड़कर निवासियों को स्वयम कब्जा दिलाया था जो कि दस्तावेजी रूप में उपलब्ध है।

वर्तमान सरकार समीपवर्ती औरैया से गुजर रहे बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे और आगरा एक्सप्रेस वे को जोड़ने के लिए इसे 6 लेन लिंक के रूप में बनाना चाहती है। ज्ञापन में कहा गया है कि आज़ादी से पूर्व तत्कालीन तिवा राज्य के मूल नागरिकों के भव्य भवन तिर्वा खास से तिर्वा गंज तक बने हुए है और यदि अब सड़क का चौड़ीकरण हुआ तो यह भव्य भवन अपना अस्तित्व खो देंगे। ऐसे में विरासत को बचाने का एक मात्र तरीका यह है इस प्राचीन नगर की बस्ती को छोड़कर यहां बाईपास की संभावना तलाशी जाय।सम्बंधित एजेंसी की टीम की ओर से तिर्वा में सीमांकन और सड़क किनारे के मकानों व दुकानों पर लगाए गए निशान चर्चा का विषय बन गए हैं। आबादी के बीच से सिक्स लेन निकाले जाने की संभावना और जमीन गंवाने की आशंका के बीच लोगों में दहशत है।

पिछले सप्ताह से तिर्वा में सड़क के दोनों ओर जमीनों का सीमांकन किया जा रहा है। चर्चा है कि फोरलेन का दायरा बढ़ाकर इसे सिक्स लेन किया जाना है। बताया जा रहा है कि पड़ोसी जिले औरेया से होकर गुजरने वाले बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे और यहां तिर्वा के करीब एक्सप्रेस-वे के बीच फोरलेन को चौड़ा करके सिक्स लेन किया जाएगा। इसी के मद्देनजर फोरलेन के किनारे की जमीनों का सीमांकन किया जा रहा है। इसके लिए सम्बंधित एजेंसी की टीम तिर्वा में पिछले दिनों सड़क किनारे की पैमाइश कर रही थी। इससे तिर्वा के उन बाशिंदों में हलचल मची है, जिनके आवास या प्रतिष्ठान फोरलेन के ठीक किनारे बने हुए हैं।

तिर्वा में सीमांकन का काम कर रही राष्ट्रीय मार्ग निर्माण खंड, कानपुर की टीम ने बताया कि अभी सिक्स लेन का कोई प्रस्ताव नहीं है। भविष्य में सड़क के चौड़ीकरण के मद्देनजर ही यह काम किया जा रहा है। निर्माण खंड से जुड़े तिर्वा में फोरलेन के डिवाइडर से दोनों ओर 65-65 फिट की दूरी तक जमीन निर्माण खंड की है। अभी डिवाइडर से दोनों ओर 25-25 फिट की ही जगह पर सड़क और फुटपाथ है। बाकी की जगहों पर यहां गलत तरीके से निर्माण हुआ है। नगर पंचायत प्रशासन ने भी गलत तरीके से नाला बनाकर अतिक्रमण कर रखा है। उन्होंने बताया कि यहां सड़क किनारे पांच फिट से 30 फिट तक कब्जा है। सीमांकन करने के बाद इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। इसे प्रशासन को सौंपा जाएगा। उसके बाद आगे की कार्रवाई जिला प्रशासन करेगा।

इससे पूर्व फोरलेन को सिक्स लेन में बदलने को लेकर हो रहे सर्वे का व्यापारियों ने तीखा विरोध किया है। व्यापारियों ने प्रदर्शन कर सरकार से मांग रखी कि तिर्वा कस्बे में ठठिया रोड से लेकर इन्दरगढ़ तिराहे तक सड़क के दोनों ओर जगह नहीं है। इस वजह से कस्बे में सड़क के चौड़ीकरण का काम न किया जाए।

भाजपा नेता मोनू दुबे के नेतृत्व में करीब दो दर्जन व्यापारियों ने ठठिया रोड चौराहे पहुंचकर यहां पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन कर नारेबाजी की। इन व्यापारियों का तर्क है कि सपा सरकार के दौरान तिर्वा-कन्नौज फोरलेन मार्ग में परिवर्तित किया गया था। इससे अब सड़क के दोनों ओर जगह नहीं है। फोरलेने को सिक्स लेन में यदि बदला गया, तो कस्बे के सैकड़ों दुकानदार व भवन स्वामियों की इमारतें ढह जाएंगी। इससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। सभी व्यापारियों ने ठठिया रोड चौराहे से लेकर इन्दरगढ़ तिराहे तक किसी अन्य बैकल्पिक व्यवस्था की मांग रखी है।