तम्बौर सीतापुर-केले की फसलें बर्बाद बिटिया की शादी के लिए लेना पड़ेगा कर्ज़।

तम्बौर सीतापुर/ केला फसलों की तैयारी के लिए किसानों ने अपनी जमा पूंजी लगाने के बाद किसान क्रेडिट कार्ड पर बैंकों से कर्ज भी लिया, उसे भी फसलों की बेहतर पैदावार की उम्मीद में खपा दिया। इसके बाद शारदा नदी के बाढ़ के पानी ने उनकी सारी उम्मीदों पर एक झटके में पानी फेर दिया। खेतों में सब कुछ बर्बाद होने के बाद उन किसानों के हाथ पूरी तरह से खाली हो गए हैं। उधर घर में बेटी की शादी भी निकट होने से उन्हें चिंता खाए जा रही है। ऐसे में वह अब और कर्ज लेने के लिए मजबूरी में गांव-क्षेत्र के साहूकारों से खुशामद करने लगे हैं। बेहटा ब्लॉक क्षेत्र भवानीपुर के रामगोपाल शर्मा बताते हैं कि हमने केले की फसल पर बैंक से तीन लाख पंचानवे हजार रुपये कर्ज़ लेकर 35 बीघा केला लगाया था जो बाढ़ के पानी की वजह से उसकी फसल 80 प्रतिशत से भी अधिक प्रभावित हो गई है। परिवार के लिए रोटी का जुगाड़ कहां से होगा, यह चिंता रामगोपाल शर्मा को खाए जा रही है। भवानीपुर निवासी दुर्योधन ने बताया कि उनकी बेटी की शादी इसी केले की फसल पर निर्भर थी जिसके लिए बैंक से एक लाख चौदह हजार रुपये लिए थे जिसमे पच्चीस बीघा केले की फसल लगाई थी जो बाढ़ की वजह से बर्बाद हो गई बिटिया की शादी की खुशियों पर पानी फिर गया अब कैसे करेंगे बिटिया का बियाह। राजेन्द्र यादव बताते हैं कि उसके कुल पांच बीघा खेती है, जिसमें उसने इस बार केला लगाया था और बैंक से एक लाख रुपये कर्ज़ भी लिया था जो बाढ़ की वजह से बर्बाद हो गया। रामचन्द्र जयसवाल बताते है कि मैने पच्चीस बीघा केले की फसल लगाई थी जिसपर दो लाख पचास हजार रुपये बैंक से कर्ज़ लिया है शारदा नदी से आई बाढ़ ने सबकुछ नष्ट कर दिया।

वही सुरेश जयसवाल की चार बीघा केले की फसल, संजय चौहान की एक बीघा, रामलोटन तीन बीघा, सोने की छह बीघा, राजू, चुराई, जगतपाल, शंकर भार्गव, की एक-एक बीघा, अजय सिंह बर्छाता की छह बीघा, संदीप सिंह निवासी कतरा की छह हेकड़, अमर सिंह मंगलपुरवा की एक हेकड़, परुषोत्तम वर्मा निवासी सुमली की चार हेकड़, सतीश सिंह, विपिन सिंह निवासी कलनापुर की एक-एक हेकड़ केले की फसल का बाढ़ की वजह से नुकसान हुआ है।इस फसल के अधिक उत्पादन के लिए इन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी थी। सोचा था कि खेत में अच्छा केला होगा, जिसे बाजार में बेचकर बेटी की अच्छी शादी करेगा, लेकिन ईश्वर ने उसके इन सारे सपनों पर पानी फेर दिया है। परेशान किसान कहते हैं कि अब वह क्या करे, परिवार के खर्चे कहां से कैसे पूरे करे। ऊपर से कोरोना महामारी की वजह से सब काम धाम बन्द है। इन तमाम उलझनों में फंसे किसान कहते हैं कि ईश्वर जैसा चाहेगा, वैसा ही होगा। रही बात बिटिया की शादी के खर्चों की तो गांव में उधार-व्यवहार लूंगा। किसान क्रेडिट कार्ड पर जो कर्ज़ लिया है। इस कर्ज की धनराशि को भी उसने अच्छे उत्पादन के चक्कर में फसलों पर खर्च कर दिया। लेकिन नतीजा सिफर ही रहा, बाढ़ के पानी ने भवानीपुर के किसानों की सारी उम्मीदों को चूर कर दिया।