डिजिटल इंडिया का सचः आधार कार्ड के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ीं

सिरसागंज। जनता के हित और सुविधाओं का ढिंढोरा पीटने वाले सरकार के फरमान और योजनाएं फाइलों में सफर करते हैं लेकिन आम आदमी इन फरमानों की गफलत में पिस-पिस कर गुजर करता है। इस चक्कर में उसका जरूरी काम बिगड़ सकता है, पुलिस के डंडे खाने पड़ सकते हैं या उसे कोरोना हो सकता है।
सरकार ने तमाम जरूरी कामों को अधार से जोड़ दिया है लेकिन आधार कार्ड खुद में कितनी बड़ी मुसीबत बन गया है डाकघर पर भीड़ की तस्वीर देखकर इसका अंदाज लगाया जा सकता है।�
सिरसागंज कस्बे में गुरुवार को डाकघर पर आधार कार्ड के लिए भीड़ उमड़ी। नया कार्ड बनवाने, पुराने में संशोधन कराने या अपडेट कराने वालों की भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गयीं। हालांकि दो जवान डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए तैनात थे। लेकिन भीड़ में उनके हाथ पैर फूल गये। थाने पर खबर मिलने पर थाना प्रभारी बल के साथ पहुंचे। पुलिस ने डंडे चलाकर भीड़ को हटाया।
आधार कार्ड को लेकर दिक्कतें पहले से बनी रही हैं। लेकिन लाॅकडाउन के दौरान आधार कार्ड का काम भी ठप रहा। कुछ ही दिन पूर्व डाकघर पर काम शुरू हुआ है। जिससे बड़ी संख्या में लोग अपनी समस्याएं लेकर आ रहे हैं। डाकघर वालों के लिए भीड़ संभालना मुश्किल हो रहा है। डाकघर के भवन में सीमित स्थान होने एवं व्यस्त आम रास्ता होने से दिक्कत और ज्यादा हो रही है। लोगों का कहना है कि तहसील जैसे किसी बड़े पर आधार कार्ड केंद्र बनाया जाना चाहिए।

## व्यापक इंतजाम होने चाहिए ##
यूआईडीएआई की वेबसाइट के अनुसार सरकार के पास सिर्फ इस बात का डाटा है कि कितने लोागों के आधार कार्ड बन गये हैं और कितनों के बाकी हैं। आधार कार्ड संशोधन एवं अपडेटेशन की समस्याएं पूरी करने का कोई अपडेट वेबसाइट पर नहीं है।�
यूआईडीएआई की वेबसाइट बताती है कि उत्तर प्रदेश में 85 प्रतिशत लोगों के आधारकार्ड बन चुके हैं। इस हिसाब से नये आधार कार्ड बनाने का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है। लेकिन सरकार के पास इस बात का कोई हिसाब नहीं है कि बड़ी संख्या में लोगों के आधारकार्डों पर कई तरह की गलतियां हैं, वे गलतियां कितने समय में पूर्ण कर दी जाएंगी।
आधार कार्ड पर ज्यादातर लोगों के फोन नंबर अंकित नहीं है या उनके फोन नंबर बदल गये हैं। तमाम लोगों के पते गलत हैं या पते बदल गये हैं। तमाम लोगों के कार्डों पर जन्मतिथि गलत या अधूरी हैं। इसके अलावा एक बड़ी संख्या ऐसे आवेदकों की है जिन्हें वयस्क होने पर अपना डाटा अपडेट कराना है।
विकीपीडिया पर दर्ज जनसंख्या विवरण के अनुसार 14 वर्ष तक की आयु की जनसंख्या 31.2 प्रतिशत है। इस हिसाब से 15 से 18 वर्ष तक की जनसंख्या का अनुमान 10 प्रतिशत लगाया जा सकता है। इस हिसाब से 18 वर्ष की आयु वाली 41 प्रतिशत जनसंख्या को अपना डाटा अपडेट कराने के लिए आधार केंद्र आना होगा। आधार केंद्रों की संख्या और हालात देखकर आम आदमी के लिए यह एक दुरूह कार्य बन गया है।